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'नए मालदीव’ में चीन का हो सकता है प्रभाव: नशीद

मालदीव में कथित तख्तालपट पर भारत के रुख से खिन्न पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने उसे आगाह किया है कि नई शासन व्यवस्था में इस देश के चीन के प्रभाव में जाने के साथ ही देश में नई दिल्ली की ताकत खत्म हो सकती है.

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मोहम्मद नशीद
मोहम्मद नशीद

मालदीव में कथित तख्तालपट पर भारत के रुख से खिन्न पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने उसे आगाह किया है कि नई शासन व्यवस्था में इस देश के चीन के प्रभाव में जाने के साथ ही देश में नई दिल्ली की ताकत खत्म हो सकती है.

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खुद को भारत प्रेमी बताते हुए 44 साल के नशीद ने कहा कि नई दिल्ली ने उनकी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) को हल्के में लिया है, हालांकि वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के वैचारिक तौर पर समर्थक है.

उन्होंने कहा कि पूर्व तानाशाह अब्दुल गयूम की प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) से उलट उनकी पार्टी ही भारत की वफादार है.

नशीद ने कहा, ‘भारत सरकार के लोगों से मेरा सवाल है कि अगर उनको लगता है कि हमने अच्छा काम नहीं किया तो क्या वे मानते हैं कि नई सरकार बेहतर विकल्प है.’

उन्होंने कहा, ‘पीपीएम से उलट हम लोग ऐसे हैं, जो भारत, हिंद महासागर के क्षेत्र में उसकी भूमिका और कामकाज में मजबूती के साथ यकीन करते हैं. हम भारत के साथ नजदीकी रिश्ता चाहते हैं.’ यह पहला मौका नहीं है, जब नशीद ने मालदीव में राजनीतिक संकट पर भारत के रुख को लेकर निराशा जताई है. उनका दावा है कि उन्हें जबरन सत्ता से बेदखल किया गया है.

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नशीद ने कहा कि भारत को मालदीव के हालात को समझना चाहिए और अगर वह ऐसा नहीं करता है तो यह ‘बहुत अजीब’ होगा. उन्होंने कहा, ‘भारत हमें हल्के में ले रहा है. वे जानते हैं कि हम उनके साथ होंगे. यह हमारे लिए वैचारिक चीज है.’

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि अब चीन यहां ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाने लगा है. उन्होंने संकेत दिया कि मालदीव का राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) बीजिंग के साथ रक्षा समझौते का नवीनीकरण करने की उत्सुक है.

नशीद ने कहा, ‘चीन निश्चत तौर पर सक्रिय भूमिका निभाएगा. उसकी भूमिका अब बड़ी होगी.’ उन्होंने कहा कि 2008 में उनकी पार्टी के सत्ता में आने के बाद चीन के साथ रक्षा समझौता मौजूद था, लेकिन 2009 में हमने से इसका नवीनीकरण नहीं किया.

उन्होंने कहा, ‘दो सप्ताह पहले तक इससे जुड़ा दस्तावेज मेरे सामने रखा था ताकि मैं हस्ताक्षर कर दूं. एमएनडीएफ ने मुझे पत्र भेजा कि दस्तावेज पर हस्ताक्षर करना है. फिर उन्होंने कहा कि मुझे इस पर हस्ताक्षर करना ही होगा.’ फिर से चुनाव कराने की मांग कर रहे नशीद ने कहा कि अगर भारत सरकार अपने हित सुरक्षित रखना चाहती है तो उसे मालदीव के लोगों के हितों की रक्षा करनी होगी.

नशीद ने कहा, ‘क्या हमने भारतीय संवेदनाओं को बाधित किया था? आप मुझसे बड़ा भारत प्रेमी नहीं पा सकते. अगर वे भारत के खिलाफ बोलते हैं तो मुझे लगता है कि वे मेरे खिलाफ बोल रहे हैं. हमने कभी कुछ भारत के खिलाफ नहीं किया और मेरी पार्टी ने भी कुछ नहीं किया.’ मालदीव में मोहम्मद वहीद हसन के नेतृत्व में नयी सरकार बनने के तत्काल बाद ही भारत ने इसे स्वीकार कर लिया था.

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नशीद ने कहा कि स्थिति सामान्य हो जाने के बाद वह भारत का दौरा करेंगे और वहां अपने दोस्तों से बात करेंगे.

यह पूछे जाने पर कि सत्ता में वापसी होने पर वह सब कुछ भूलने को तैयार हैं तो उन्होंने कहा, ‘निश्चत तौर पर.’ नशीद ने देश की संसद में नई सरकार के खिलाफ संघर्ष का संकल्प लेते हुए कहा कि अगर जरूरी हुआ तो वह सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करेंगे.

उन्होंने कहा कि वह संसद में संघर्ष करेंगे जिसका सत्र 23 फरवरी से शुरु होने वाला है.

इस बीच अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए उनकी पार्टी एमडीपी ने क्षेत्र के कृत्रिम बीच पर एक रैली निकाली. नशीद के साथ एमडीपी के सांसदो ने जनता को संबोधित किया. रैली में करीब 5000 लोगों ने भाग लिया. उनके हाथ में पुलिस और राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन की वर्तमान सरकार के खिलाफ बैनर थे.

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