राष्ट्रपति के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दोबारा शुरू करने में नाकाम रहने के लिए शीर्ष न्यायालय द्वारा अवमानना की नोटिस भेजे जाने के तुरंत बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने सोमवार को इस्तीफे की पेशकश की.
एआरवाई चैनल ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि गिलानी ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के और सत्तारूढ गठबंधन के अपने सहयोगी दलों के वरिष्ठ नेताओं से कहा कि अगर उनके कदम से सरकार और संसद मजबूत होती है तो वह पद छोड़ने को तैयार हैं.
गिलानी के इस्तीफे की स्थिति में पीपीपी नेता कमर जमां कैरा, धार्मिक मामलों के मंत्री खुर्शीद शाह और गठबंधन के अहम सहयोगी पीएमएल क्यू के चौधरी परवेज एलाही के नामों पर विचार किया जा रहा है. संसद के अहम सत्र शुरू होने के तुरंत पहले गिलानी ने पीपीपी और अपने सहयोगी दलों की यह बैठक की जिसमें राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भी शामिल हुए.
अन्य सूत्रों ने बताया कि पीपीपी का शीर्ष नेतृत्व प्रधानमंत्री के इस्तीफे के न्यायपालिका और सेना से सरकार के टकराव को खत्म करने के संभावित उपाय के तौर पर विचार कर रहा है.
इससे पहले पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी कर 19 जनवरी को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान अटार्नी जरनल ने कोर्ट से कहा था कि अभी मुझे सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं मिला है इसलिए कुछ और समय दिया जाए.
कोर्ट ने उन्हें 20 मिनट का समय दिया था. समय पूरा होने के बाद जब जवाब नहीं मिला तो कोर्ट ने प्रधानमंत्री गिलानी के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी कर 19 जनवरी को हाजिर होने का आदेश दिया.
प्रधानमंत्री गिलानी पर अगर अवमानना का आरोप सही साबित हो जाता है तो उन्हें 6 माह की जेल और 5 वर्ष के लिए संसद से निष्कासन की सजा भी हो सकती है.
इस बीच पाकिस्तान के कानून मंत्री प्रधानमंत्री गिलानी से मिलने पहुंच गए हैं. इस दौरान कानून मंत्री ने पत्रकारों से कहा कि कानून की नजर में जो भी सही होगा वह किया जाएगा.
पाकिस्तानी राजनीतिक इतिहास में इससे पहले 1998 में नवाज शरीफ को ऐसा ही एक नोटिस मिला था. उस वक्त यह सारा कुछ हंगामें में दब गया था और चीफ जस्टिस के खिलाफ बगावत हो गई थी.