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धार्मिक उन्‍माद, नक्‍सलवाद बड़ी चुनौती: मनमोहन

आतंरिक सुरक्षा पर मुख्‍यमंत्रियों के साथ सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि धार्मिक उन्‍माद और नक्‍सलवाद देश की बड़ी चुनौती हैं.

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मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह

आतंरिक सुरक्षा पर मुख्‍यमंत्रियों के साथ सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि धार्मिक उन्‍माद और नक्‍सलवाद देश की बड़ी चुनौती हैं. उन्‍होंने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा को कई तरह के खतरे हैं.

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देश के अंदरूनी हालात पर चिंता जताते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि नक्‍सली अब विदेशियों को भी निशाना बनाने लगे हैं. उन्‍होंने केंद्र सरकार और राज्‍यों के बीच तालमेल की जरूरत पर बल दिया. उन्‍होंने कहा कि कई राज्‍य अच्‍छा काम कर रहे हैं.

मनमोहन सिंह ने इस बात पर संतोष जाहिर किया कि साल 2011 में नक्‍सली हिंसा में कमी आई. उन्‍होंने कहा कि देश को उग्रवाद से मजबूती से निपटना होगा.

सम्‍मेलन में गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने भी नक्‍सलवाद को बड़ी समस्‍या बताया. उन्‍होंने कहा कि सैनिक कार्रवाई की बजाए इस समस्‍या से बातचीत से निपटा जा सकता है.

पी. चिदंबरम ने कहा कि देश के 9 राज्‍य नक्‍सलवाद से प्रभावित हैं. उन्‍होंने कहा कि नक्‍सलवादी बड़े पैमाने पर वसूली करते हैं. उन्‍होंने कहा कि असम में माआवा‍दी गतिविधियां तेज हुई हैं.

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आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरता और जातीय हिंसा को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती मानते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इन चुनौतियों से कडाई किन्तु संवेदनशील ढंग से निपटना होगा और लगातार सतर्क रहना होगा.

प्रधानमंत्री ने आंतरिक सुरक्षा पर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘आंतरिक सुरक्षा हालात कुल मिलाकर संतोषजनक हैं, लेकिन और अधिक करने की जरूरत है. आंतरिक सुरक्षा की गंभीर चुनौतियां बनी हुई हैं. आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरता और जातीय हिंसा के खतरे हमारे देश में विद्यमान हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी ओर से इन चुनौतियों के प्रति लगातार सतर्क रहना होगा. इन चुनौतियों से कड़ाई से निपटने की आवश्यकता है लेकिन पूरी संवेदनशीलता के साथ.’

मनमोहन सिंह ने वामपंथी उग्रवाद की मिसाल देते हुए कहा कि जहां तक माओवादियों की हिंसा में मारे गये लोगों का सवाल है, 2011 के हालात 2010 की तुलना में बेहतर रहे, लेकिन हमें अभी भी लंबा रास्ता तय करना है.

उन्‍होंने कहा, ‘दोनों ही तरह से- प्रभावित क्षेत्रों की जनता को हमारी विकास कर रही अर्थव्यवस्था और समाज में शामिल कर और उन्हें सुरक्षा मुहैया कराकर.’ उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के अन्य मसलों की तरह हमें आतंकवाद की चुनौती का मुकाबला करने के लिए भी मिलकर एवं समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता है.

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मनमोहन सिंह ने कहा कि आतंकवादी संगठन आज की तारीख में चालाक हैं, पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा घातक और उन्होंने सीमाओं से परे नेटवर्क का विस्तार किया है. उन्होंने कहा कि यदि हमें आतंकवाद को परास्त करना है या इससे प्रभावशाली ढंग से निपटना है तो समय पर सही खुफिया जानकारी प्राथमिक आवश्यकता है. इस दिशा में कुछ प्रगति हुई है. खुफिया सूचनाएं एकत्र करने का तंत्र मजबूत हुआ है.

मनमोहन सिंह ने कहा, ‘जैसा कुछ मुख्यमंत्रियों ने सुझाव दिया था, हम पांच मई को अलग बैठक में राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केन्द्र : (एनसीटीसी) पर चर्चा करेंगे.’ उन्होंने कहा कि आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए मजबूत एवं प्रभावशाली संस्थागत तंत्र स्थापित करने के इरादे से केन्द्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था के लिहाज से जम्मू-कश्मीर के हालात काफी सुधरे हैं. परिणामस्वरूप राज्य में 2011 के दौरान पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की संख्या काफी बढी है. वहां पंचायत चुनाव सफल रहे और इससे पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर की जनता हिंसा और आतंकवाद के साये से निकलकर सामान्य जीवन जीने की इच्छा रखती है.

उन्होंने कहा कि कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में हालात पेचीदा रहे. हिंसा की घटनाओं के लिहाज से स्थिति हालांकि कुछ सुधरी है. मनमोहन सिंह ने उम्मीद जतायी कि पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचा संबंधी परियोजनाओं के कार्यान्वयन से सामान्य स्थिति बहाल करने के हालात पैदा होंगे.

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