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PM ने कहा, असम दंगा राष्ट्र पर एक धब्बा

असम में बड़े पैमाने पर जातीय दंगे को ‘राष्ट्र पर धब्बा’ करार देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सभी प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के बीच सुरक्षा की भावना भरी जानी चाहिए और उन्होंने प्रभावित लोगों के लिए 300 करोड़ रूपए के विशेष राहत पैकेज की घोषणा की.

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

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असम में बड़े पैमाने पर जातीय दंगे को ‘राष्ट्र पर धब्बा’ करार देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सभी प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के बीच सुरक्षा की भावना भरी जानी चाहिए और उन्होंने प्रभावित लोगों के लिए 300 करोड़ रूपए के विशेष राहत पैकेज की घोषणा की.

जातीय दंगे में बाल बाल बचे लोगों का दुख दर्द बांटने के लिए यहां पहुंचने पर सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि यह (जातीय हिंसा) नहीं होना चाहिए था. यह हमारे राष्ट्र पर धब्बा है. बोडो जनजाति और प्रवासियों के बीच व्यापक संघर्ष से कई लोग मारे गए हैं और बहुत से लोगों को अपना घर बार छोड़कर शिविरों में शरण लेना पड़ा है.

राहत शिविरों में दंगा प्रभावितों से मिलने के बाद सिंह ने कहा, ‘हाल की घटनाओं ने बड़ी संख्या में लोगों को जो दर्द और पीड़ा दी है उससे हम सभी दुखी हैं. जो जातीय संघर्ष संघर्ष हुआ, वह बिल्कुल अस्वीकार्य है और उसे अवश्य ही रूकना चाहिए.’

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प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सभी प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करेगा ताकि पीड़ित अपने घर लौटें और उन्हें यह मालूम हो कि उनका जीवन और जीविका सुरक्षित है. उन्होंने कहा, ‘हम सब एक जन और एक राष्ट्र हैं तथा हमें इसी तरह एक साथ रहना है. हमें पूरे इलाके में निश्चित तौर पर अमन और शांति बहाल करनी चाहिए और मैं आप सभी से यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने का आह्वान करता हूं.’उन्होंने कहा कि यह समय मरहम लगाने का है.

सिंह ने छह प्रभावित जिलों के प्रभावित लोगों के राहत एवं पुनर्वास के लिए 100 करोड़ रूपए, प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यक्रम के लिए विशेष योजना सहायता के रूप में 100 करोड़ रूपए तथा इंदिरा आवास योजना के तहत 100 करोड़ रूपए की घोषणा की.

उन्होंने कहा कि उन लोगों को 30-30 हजार रूपए दिए जाएंगे जिनके मकान पूरी तरह नष्ट हो गए हैं. प्रधानमंत्री राहत कोष के तहत उन लोगों को 20-20 हजार रूपए दिए जाएंगे जिनके मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं. सिंह ने कहा कि हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों को दो दो लाख रूपए तथा घायलों को 50 हजार रूपए दिए जाएंगे.

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प्रधानमंत्री ने संघर्ष के कारणों के हल की आवश्यकता पर बल दिया और कहा, ‘यदि संघर्ष की साजिश रची गयी या उसे हवा दी गयी तो दोषी निश्चित रूप से दंडित किए जाएंगे. केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करेगी.’ उन्होंने कहा कि इन दुखभरी घटनाओं से प्रभावित लोगों के जीवन में सामान्य स्थिति लाने के लिए केंद्र राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करेगा. यह एक ऐसा कार्य है जिसे देश में हम सभी को साथ मिलकर पूरा करना चाहिए.

सिंह ने कहा, ‘हिंसा को नियंत्रित करने में शुरू में कुछ दिक्कतें आयीं लेकिन केंद्र एवं असम सरकारें स्थिति सामान्य बनाने तथा प्रभावितों को मरहम लगाने के लिए सभी उपाय करेगी. समय की मांग है कि उन लोगों को मरहम लगाया जाए जिन्हें भारी नुकसान हुआ है.’ यह पूछे जाने पर कि किस कारण से यह समस्या सामने आई, प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह जटिल विषय है और जब स्थिति सामान्य हो जायेगी तब हम स्थिति की समीक्षा करेंगे.’ उन्होंने कहा कि यह समय एक दूसरे पर अंगुलियां उठाने का नहीं है.

कोकराझार कामर्स कालेज स्थित राहत शिविर में शरणार्थियों से मिलने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा,‘जो कुछ भी हुआ, वह दुखद है. मैं आपके दुख को समझ सकता हूं और इस दुख की घड़ी में हम सब अपके साथ हैं. हम सभी भारतीय हैं और हमें एकजुट रहना चाहिए.’ उन्होंने कहा,‘हमने राज्य सरकार को प्रभावित लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश भी दिया है ताकि लोग अपने घर लौट सकें.’ उन्होंने कहा, ‘हम उन कारणों का पता लगाने के लिए जांच करवायेंगे जिनकी वजह से हिंसा हुई.’ सिंह ने बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद प्रशासन, छात्रों, सामाजिक और साहित्यिक संगठनों के प्रतिनिधियों से भी बातचीत की.

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प्रधानमंत्री के कोकराझार दौरे में दो घंटे से भी अधिक का विलंब हुआ. वह जिस हेलिकॉप्टर से प्रभावित जिले जा रहे थे उसे तकनीकी कारणों से गुवाहाटी लौटना पड़ा था. बाद में वह भारतीय वायु सेना के एक हेलीकाप्टर से असम के हिंसाग्रस्त जिले कोकराझार पहुंचे.

उनके साथ असम के राज्यपाल जे बी पटनायक, मुख्यमंत्री तरूण गोगोई, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता और राज्य के कई सरकारी अधिकारी भी थे. कोकराझार से लौटने के बाद प्रधानमंत्री दिल्ली रवाना हो गए.

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