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पाकिस्‍तान: सुप्रीम कोर्ट का साथ देगी सेना

पाकिस्‍तान में सेना और सरकार के बीच टकराव जारी है. एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून के हवाले से खबर है कि सेना ने सुप्रीम कोर्ट का साथ देने का फैसला किया है. इससे पहले आशंका जताई जा रही थी कि पाकिस्‍तान में एक और तख्‍तापलट हो सकता है.

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अशफाक परवेज कियानी
अशफाक परवेज कियानी

पाकिस्‍तान में सेना और सरकार के बीच टकराव जारी है. एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून के हवाले से खबर है कि सेना ने सुप्रीम कोर्ट का साथ देने का फैसला किया है. इससे पहले आशंका जताई जा रही थी कि पाकिस्‍तान में एक और तख्‍तापलट हो सकता है.

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प्रमुख अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ के अनुसार पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी द्वारा शीर्ष कमांडरों की बैठक में यह फैसला लिया गया है. वहां चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के चलते कयानी ने मुख्यालय पर यह बैठक बुलाई थी. हांलाकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.

सैन्य अधिकारियों ने अखबार को बताया कि इस पूरी बैठक में कयानी ने सरकार और सेना के बीच तकरार पर चर्चा की. एक अनाम सैन्य अधिकारी ने बताया कि सेना उच्चतम न्यायालय के फैसले के साथ खड़ी होगी जिसने यह चेतावनी दी है कि 16 जनवरी तक यदि सरकार भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से नहीं शुरू करती तो प्रधानमंत्री को इस पद के अयोग्य करार दिया जा सकता है.

अधिकारी का यह भी कहना था कि न्यायालय के फैसले को अमल में लाने के लिये यदि सेना की मदद ली जाती है तो सेना सहयोग के लिये तैयार रहेगी. अधिकारी ने कहा, ‘यदि अदालत सेना को किसी भी सहयोग के लिये निर्दर्शित करती है तो हम न्यायिक रूप से उसका पालन करने के लिये बाध्य रहेंगे.’

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इससे पहले सेना ने प्रधानमंत्री गिलानी द्वारा सेना और आई एस आई प्रमुख की आलोचना का जवाब देते हुये कहा था कि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. न्यायिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय अपने फैसले को लागू करने के लिये अनुच्छेद 190 लगा सकता है. इसके तहत सभी सरकारी और न्यायिक संस्थाओं को सर्वोच्च न्यायालय के सहयोग के लिये काम करना होगा.

इससे पहले बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ के काल में भी जस्टिस सज्जाद अली शाह ने तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल जहांगीर करामात को चिट्ठी लिखकर सर्वोच्च न्यायालय पर हमले की आशंका को देखते हुये सैन्य सुरक्षा की मांग की थी. उस समय करामात ने यह पत्र रक्षा मंत्रालय को अग्रसारित कर दिया था.

उधर प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने संसद में कहा है कि वो चुनाव कराना पसंद करेंगे लेकिन किसी के आगे भीख मांगेंगे. गिलानी ने कहा कि सेना सुप्रीम कोर्ट के साथ है. उन्‍होंने कहा कि कॉन्फिडेंस मोशन की जरूरत नहीं है और सभी को संविधान की इज्‍जत करनी चाहिए.

दूसरी ओर तेजी से बदलते हालात के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी भी शुक्रवार सुबह दुबई से अपने देश लौट आए. तख्तापलट की आशंकाओं के बीच पाकिस्तान के अवाम की सांसें थम गई हैं. असमंजस के हालात में उनका दम घुट रहा है. पूरा मुल्क जानना चाहता है कि देश का भविष्य क्या होगा? सरकार और सेना के बीच खिंची तलवारें बार-बार तानाशाही के खंजर से मारे गए मुल्क को किस ओर ले जाएगी.

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