पाकिस्तानी उच्चतम न्यायालय ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अपने समक्ष 13 फरवरी को पेश होने के लिए सम्मन जारी किये.
गिलानी जब उच्चतम न्यायालय में पेश होंगे तब उनके खिलाफ राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई करने में असफल रहने के लिए औपचारिक रूप से आरोप तय किए जाएंगे.
न्यायमूर्ति नसीर उल मुल्क के नेतृत्व वाले सात न्यायाधीशों की पीठ ने दोपहर में गिलानी के वकील एतजाज एहसान की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश जारी किया. एहसान ने दलील दी कि प्रधानमंत्री ने न्यायालय के आदेश की अवमानना नहीं की है क्योंकि राष्ट्रपति को पाकिस्तान और विदेश में अभियोजन से छूट प्राप्त है.
यदि गिलानी को अवमानना मामले में दोषी करार दिया जाता है तो वह पांच वर्ष के लिए कोई भी सार्वजनिक पद ग्रहण करने के लिए अयोग्य हो जाएंगे. उन्हें स्वयं को दोषी करार देने वाले किसी भी आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर अपील करने का अधिकार होगा. एहसान ने न्यायालय के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘न्यायालय ने अदालत की अवमानना के लिए प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के खिलाफ 13 फरवरी को आरोप तय करने के आदेश दिये हैं. वह अदालत में उपस्थित होंगे.’
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘मेरे मुवक्किल को मेरी सलाह निर्णय के खिलाफ अपील करने की होगी लेकिन इस बारे में निर्णय उन्हीं को करना है. हमारे पास अपील करने का विकल्प है.’ उन्होंने कहा कि यदि अंतर अदालत अपील दायर की जाती है तो एक अपीलीय पीठ इस आदेश को निलंबित करने का निर्णय कर सकती है.
न्यायालय ने गत 19 जनवरी को जब सबसे पहले अवमानना के मामले की सुनवायी शुरू की थी तब गिलानी व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए थे लेकिन उन्हें आगे अदालत में पेशी से छूट मिल गई थी. उच्चतम न्यायालय सरकार पर दबाव बना रही है कि वह जरदारी के खिलाफ स्विट्जरलैंड में कथित धन शोधन के मामले को फिर से खोले.
इससे पहले उसने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की ओर से दिसम्बर 2009 में पारित भ्रष्टाचार क्षमादान ‘राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश’ को रद्द कर दिया था. एहसान ने अपनी दलील में कहा कि प्रधानमंत्री जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई नहीं करने का निर्णय करके कुछ भी गलत नहीं किया है.
पाकिस्तान के शीर्ष वकीलों में शामिल एहसान और सात सदस्यीय पीठ के बीच राष्ट्रपति को प्राप्त छूट और गिलानी की कार्रवाई संबंधी कई तकनीकी मुद्दों पर बहस हुई. एहसान ने कहा कि राष्ट्रपति को पाकिस्तान और विदेश में अभियोजन से पूर्ण छूट प्राप्त है और सरकार विदेशी प्राधिकारियों से उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नहीं कह सकती.
पीठ ने कहा कि सरकार को जरदारी के खिलाफ मामलों को फिर से खोलने के न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई करते हुए स्विट्जरलैंड के अधिकारियों को पत्र लिखना चाहिए था और उसके बाद उन्हें राष्ट्रपति को प्राप्त छूट का स्मरण कराना चाहिए था.