पाकिस्तानी मीडिया ने संकट से घिरे प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी के नेतृत्व वाली सरकार को चेतावनी दी कि सुप्रीम कोर्ट ने उसे न्यायपालिका के साथ अपने मतभेदों को समाप्त करने के लिए अंतिम मौका दिया है क्योंकि देश फिर से सैन्य शासन बर्दाश्त करने की हालत में नहीं है.
प्रमुख समाचारपत्रों ने अपने संपादकीय में लिखा है कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ स्विटजरलैंड में रिश्वत के मामलों को फिर से खोलने पर अड़ी न्यायपालिका तथा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार के बीच मौजूदा मतभेद क्या रुख अख्तियार करेंगे, यह काफी कुछ 19 जनवरी को गिलानी के सुप्रीम कोर्ट में दिए जाने वाले जवाब पर निर्भर करेगा.
डॉन दैनिक तथा पाकिस्तान टुडे ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया जतायी. एक दैनिक ने एक पुरानी पश्चिमी फिल्म की शैली में गिलानी के चेहरे पर ‘वांटेड’ का पोस्टर लगाया है जिसके लिखा है ‘कनटेम्प्ट आफ कोर्ट’. शीर्ष अदालत ने गिलानी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत के आदेश की अवहेलना करने के लिए अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाए.
यह नोटिस जरदारी के खिलाफ धन की कथित हेराफेरी के मामलों को फिर से खोलने के बारे में था. डॉन ने अपने संपादकीय में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रकार से पीपीपी के नेतृत्व वाली सरकार को यह ‘आखिरी मौका’ दिया है. दी एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है कि अब काफी कुछ प्रधानमंत्री की सुप्रीम कोर्ट में दी जाने वाली गवाही पर निर्भर करेगा.