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पाक सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी की अपील ठुकराई

संकटों से घिरे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी को करारा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी और साथ ही साफ शब्दों में उन्हें 13 फरवरी को अदालत के समक्ष हाजिर होने को कहा.

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युसूफ रजा गिलानी
युसूफ रजा गिलानी

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संकटों से घिरे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी को करारा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी और साथ ही साफ शब्दों में उन्हें 13 फरवरी को अदालत के समक्ष हाजिर होने को कहा.

राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ रिश्वतखोरी के मामलों को फिर से खोलने के अदालत के आदेश की अनुपालना नहीं करने के लिए गिलानी पर आरोप तय किए जाएंगे. गिलानी के वकील एतजाज अहसन ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि हमारी अपील खारिज हो गयी. इसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री गिलानी पर 13 फरवरी को अदालत की अवमानना के आरोप तय किए जाएंगे. इंशाल्लाह, प्रधानमंत्री 13 फरवरी को अदालत में हाजिर होंगे.’

गिलानी ने उनके खिलाफ अदालत की अवमानना के आरोप तय करने के लिए भेजे गए समन के खिलाफ अदालत में अपील करने को लेकर भारत तथा अन्य देशों की परंपराओं के उदाहरण दिए. मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी की अध्यक्षता वाली आठ सदस्यीय पीठ ने प्रधानमंत्री के वकील द्वारा जिरह पूरी करते ही अपील को खारिज कर दिया.

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अहसन ने दोहराया कि जरदारी के खिलाफ मामलों को फिर से नहीं खोलकर गिलानी ने कुछ भी गलत नहीं किया था क्योंकि राष्ट्रपति को देश और विदेश में मुकदमा चलाए जाने से छूट प्राप्त है. 59 वर्षीय गिलानी को अब 13 फरवरी को अवमानना के आरोपों का सामना करने के लिए एक अन्य सात सदस्यीय पीठ के समक्ष हाजिर होना होगा. उन पर आरोप है कि उन्होंने जरदारी के खिलाफ मामलों को फिर से खोलने के लिए स्विस सरकार को पत्र लिखने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की.

इससे पूर्व 19 फरवरी को अदालत के समक्ष हाजिर हुए प्रधानमंत्री ने तर्क दिया था कि राष्ट्रपति को छूट हासिल है और इसलिए उनके खिलाफ मामलों को फिर से नहीं खोला जा सकता. आरोप तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने उन्हें दो फरवरी को समन किया था. यदि गिलानी को अदालत की अवमानना का दोषी पाया जाता है तो उन्हें छह माह की सजा हो सकती है और उनके किसी सार्वजनिक पद को ग्रहण करने पर रोक लग सकती है.

अहसन ने गुरुवार को छह घंटे तक चली अदालती कार्यवाही में प्रधानमंत्री का बचाव किया था. उन्होंने अपनी बहस को फिर से शुरू करते हुए कहा कि गिलानी ने केवल कानूनी सलाहकारों की सलाह पर काम किया लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अहसन को साफ शब्दों में प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि उन्हें अदालत के आदेशों पर कार्रवाई करनी होगी.

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जब अहसन ने प्रधानमंत्री से सलाह मशविरे के लिए 10-15 दिन का समय मांगा तो पीठ ने कहा कि वह उन्हें दस मिनट देगी. इसके तुरंत बाद पीठ ने गिलानी की अपील को खारिज करने का संक्षिप्त आदेश दिया.

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