भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर एक तल्ख मसला रहा है और कई बार यह मसला युद्ध का कारण बनते बनते रहा है. लेकिन अब स्थिति अगल दिख रही है. अब पाकिस्तान अपनी देश के अंदर ही विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहा है और ऐसे में वहां के प्रधानमंत्री भी यह स्वीकार रहे हैं कि ऐसी परिस्थितियों में पाकिस्तान कोई युद्ध नहीं बर्दाश्त कर सकता.
ऐसा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी भी स्वीकार कर रहे हैं. गिलानी कहते हैं कि 21 वीं सदी में उनका देश ‘युद्ध वहन नहीं कर सकता ’ उन्होंने कहा है कि कश्मीर मुद्दे को बातचीत और कूटनीति से सुलझाया जा सकता है.
गिलानी ने कहा कि कश्मीर को लेकर चार युद्ध पहले ही लड़े जा चुके हैं और क्षेत्र अभी भी ‘संवेदनशील ’ है लेकिन 21 वीं सदी में हम ‘युद्ध वहन नहीं कर सकते’. उन्होंने ‘कश्मीर एकजुटता दिवस ’ के अवसर पर प्रधानमंत्री सचिवालय में आयोजित एक सम्मेलन में कहा, ‘हम मुद्दे को बातचीत कूटनीति दूरदर्शी नीति तथा राष्ट्रीय आमसहमति से सुलझाना चाहते हैं.’
गिलानी ने कहा, ‘कश्मीर मुद्दा देश की विदेश नीति का प्रमुख केन्द्र है, हम कश्मीरियों को नैतिक राजनीतिक एवं कूटनीतिक समर्थन जारी रखने के प्रति प्रतिबद्ध हैं. सभी राजनीतिक दलों सहित समूचा देश कश्मीर के मुद्दे पर एक है.’ उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान एक जिम्मेदार देश और जिम्मेदार परमाणु शक्ति है इसलिये इसे जिम्मेदार नीतियां बनानी हैं.’
गिलानी ने कहा कि पाकिस्तान की नीतियां व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं बल्कि राष्ट्रीय आमसहमति और जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों द्वारा बननी चाहिये. उन्होंने कहा कि कश्मीर नीति पर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी नीत सरकार ने पार्टी संस्थापक जुल्फिकार अली भुट्टो की सोच के अनुरूप ध्यान केन्द्रित किया है.
‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ के अवसर पर देश भर में रैलियां निकाली गयी. इस अवसर पर सार्वजनिक अवकाश था. कश्मीर मुद्दे को उजागर करने के लिये पाकिस्तान में 1990 से यह दिवस मनाया जाता है.