मेमोगेट मामले पर खड़ा हुआ विवाद अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ था कि एक नया मामला सामने आया है जिससे पाकिस्तान की असैन्य सरकार और सेना के बीच नए सिरे से टकराव पैदा हो सकता है. यह मामला छावनी बोर्डों और सैन्य भूमि के नियंत्रण को लेकर है.
समाचार पत्र ‘द न्यूज’ के मुताबिक सैन्य भूमि एवं छावनी विभाग के नए महानिदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर असैन्य सरकार और सेना आमने-सामने आने की स्थिति में हैं. विभाग के मौजूदा महानिदेशक मेजर जनरल अतहर हुसैन शाह 20 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. सेना चाहती है कि इस पर फिर से उसके बीच का ही कोई व्यक्ति का काबिज हो. ऐसी स्थिति में सेना और सरकार के बीच टकराव की आशंका जताई जा रही है.
पिछले दिनों मेमोगेट मामले को लेकर दोनों के बीच टकराव काफी बढ़ गया था. अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय ने सेना के एक अधिकारी मेजर जनरल ताहिर महमूद को विभाग का नया महानिदेशक बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय इस प्रस्ताव को स्वीकार करने का इच्छुक नहीं दिख रहा है. इस पद पर पहले असैन्य अधिकारी की ही नियुक्ति की जाती थी, लेकिन 1999 में तख्तापलट के बाद परवेज मुशर्रफ ने इस पर सेना के अधिकारी को तैनात कर दिया.
प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के प्रवक्ता अकरम शहीदी ने कहा कि प्रधानमंत्री सचिवालय के पास किसी मेजर जनरल की नियुक्ति की सिफारिश आने को बारे में जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री कभी असैन्य पद पर सेना के अधिकारी को तैनात करके नियमों का उल्लंघन नहीं करेंगे.’