मुंबई हमलों के बाद उन जल्लादों की दुनिया भर में तलाश थी, लेकिन आईएसआई के इन मोहरों की हिमाकत देखिए कि वो पाकिस्तान से आकर दिल्ली की छाती पर बैठकर साजिश रचते रहे और कराची लौटकर उसे अंज़ाम देते रहे.
26 नवंबर 2008 को जब मुंबई लश्कर के बारूद से जल रही थी और कराची के कंट्रोल रूम में बैठकर अबू जिंदाल ताज और ओबऱॉय होटल में लाशें गिनने का हुक्म जारी कर रहा था, उसी वक्त इंडियन मुजाहिदीन के सरगना रियाज भटकल और इकबाल भटकल भी कराची में ही मौजूद थे.
अबू जिंदाल ने खुलासा किया है कि मुंबई में 26/11 हमले के बाद वो कुछ दिन के लिए रावलपिंडी चला गया, जहां उसे आईएसआई ने रियासत अली के नाम से नया पासपोर्ट सौंपा. अब सुनिए इससे आगे का खुलासा, जो अब तक किसी ने नहीं सुना.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिंदाल ने पुलिस को बताया है कि मैं नया पासपोर्ट लेकर रावलपिंडी से कराची चला आया. कराची के क्वेटा होटल में मेरी मुलाकात रियाज़ और इकबाल भटकल से हुई. इसी होटल में कराची के दस्तगीर इलाके में रहने वाला आदिल मुझसे मिला.
मुंबई का मामला अभी ठंडा नहीं पड़ा था कि हम लोग एक बार फिर हिंदुस्तान में नए धमाके करने की तैयारी में जुट गए थे.
अबू जिंदाल की पूछताछ में ये बात भी सामने आई कि आदिल पाकिस्तान का वही आतंकवादी है, जिसने दिल्ली के जामा मस्जिद के बाद ताबड़तोड़ फायरिंग की थी.
आदिल, जो कराची के एफबी एरिया के फ्लैट नंबर ए-9, यूसुफ प्लाज़ा, दस्तगीर इलाके का रहने वाला है. वो पहले मोहाजिर कौमी मूवमेंट से जुड़ा था, लेकिन विरोधी गुट के जानलेवा हमले के बाद अंडरग्राउंड हो गया. बाद में आदिल की मुलाकात 2005 में जैश ए मुहम्मद के कराची कमांडर नईम से हुई.
मार्च 2010 में रियाज और इकबाल भटकल के साथ हम (जिंदाल) सऊदी अरब से फिर कराची पहुंचे. कराची के क्वेटा होटल में ही हमारी आदिल से मुलाकात हुई.
रियाज भटकल ने आदिल को तीन सौ डॉलर दिए और कराची से काठमांडू जाने का एयर टिकट दिया. काठमांडू में हमारे आदमी तारिक चौधरी ने आदिल को रिसीव किया और उसे बिहार ले आया. आदिल को ही हमने जामा मस्जिद पर फायरिंग करने का जिम्मा सौंपा था.
भारत की खुफिया एजेंसियां जिस वक्त 26/11 के मुल्जिमों को दुनिया भर में ढूंढ रही थी, उसी वक्त इंडियन मुजाहिदीन के सरगना रियाज़ भटकल, इकबाल भटकल और यासीन भटकल देश की राजधानी दिल्ली में डेरा डाले हुए थे.
जी हां, आप चौंक उठेंगे कि दिल्ली के जिस बाटला हाउस में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी मारे गए थे, उसी इलाके में भटकल ब्रदर्स ने अपना ट्रांजिट कैंप खोल रखा था.
अबू जिंदाल के मुताबिक, दिल्ली की छाती पर बैठकर भटकल ब्रदर्स ने जामा मस्जिद के अलावा पुणे और बैंगलोर को भी दहलाने का पूरा इंतज़ाम कर दिया, इस बार मोहरा था कतील.
मेरी बातचीत इंटरनेट फोन के जरिए रियाज़ और इकबाल भटकल से होती रहती थी. दरअसल मैं सऊदी अरब में इंडियन मुजाहिदीन के लिए पैसों का इंतज़ाम कर रहा था और यासीन भटकल हिंदुस्तान में धमाकों की तैयारी कर रहा था.
दिल्ली से लौटकर रियाज के साथ मेरी मुलाकात सऊदी अरब में हुई और सऊदी अरब में ही हमने आगे का प्लान तैयार किया.
अबू जिंदाल का दिमाग अब लश्कर-आईएसआई और इंडियन मुजाहिदीन की तिकड़ी को एक साथ चला रहा था और वो भी बेहद सनसनीखेज, शातिर तरीके से..