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तीसरे दिन भी ठप्प रही संसद, सोमवार को सर्वदलीय बैठक

कोयला ब्लॉक्स के कथित गलत आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रपट को लेकर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे विपक्षी दलों ने गुरुवार को लगातार तीसरे दिन संसद के दोनों सदनों में कामकाज नहीं होने दिया.

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संसद
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कोयला ब्लॉक्स के कथित गलत आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रपट को लेकर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे विपक्षी दलों ने गुरुवार को लगातार तीसरे दिन संसद के दोनों सदनों में कामकाज नहीं होने दिया.

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इस मुद्दे पर सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है, जिससे गतिरोध का समाधान निकलने की उम्मीद है. सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने-अपने रुख पर अड़ी हुई है, हालांकि गतिरोध दूर करने के लिए अंदरखाने बातचीत भी जारी है. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इस सम्बंध में भाजपा नेता सुषमा स्वराज से संसद भवन में ही मुलाकात की.

लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. मीरा कुमार ने गुरुवार को भी अपने कक्ष में एक अनौपचारिक बैठक बुलाई थी, लेकिन भाजपा इसमें शामिल नहीं हुई. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी सांसदों के एक समूह से मुलाकात के दौरान उनके इस रुख से सहमति जताई कि पार्टी को भाजपा की मांग पर आक्रामक रुख अख्तियार करना चाहिए. सोनिया से मिलने वाले सांसदों में संदीप दीक्षित, संजय निरुपम, अनु टंडन, ज्योति मिर्धा और दीपेंद्र हुड्डा थे.

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इस बीच, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के इस दावे को खारिज किया कि विपक्षी दल शासित जिन राज्यों ने कोयला ब्लॉक्स के आवंटन के लिए नीलामी प्रक्रिया का विरोध किया था उनमें ओडिशा भी शामिल है. उन्होंने कहा कि उनके राज्य ने कोयला सहित अन्य खनिज संसाधनों के आवंटन के लिए हमेशा नीलामी प्रक्रिया का समर्थन किया.

वहीं, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने निजी कम्पनियों को आवंटित कोयला ब्लॉक रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए, ताकि बड़े पैमाने पर हुए इस भ्रष्टाचार के लिए लोगों को जिम्मेदार ठहराया जा सके.

भाजपा के सदस्यों ने लोकसभा और राज्यसभा, संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर नारेबाजी की. लोकसभा में कार्यवाही पूर्वाह्न् 11 बजे शुरू हुई, लेकिन भाजपा सदस्यों के भारी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे तक, फिर दो बजे तक और अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई.

कांग्रेस के सदस्यों ने भी जवाब में नारेबाजी की और इंडियन एक्सप्रेस अखबार की प्रतियां दिखाईं जिसमें प्रकाशित खबर में कहा गया है कि जिन राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें थीं, उन्होंने कोयला ब्लॉक की नीलामी का विरोध किया था. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे लगातार विपक्ष से अनुरोध करते रहे कि वह प्रधानमंत्री को बोलने दे.

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उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री इस मसले पर चर्चा के लिए तैयार हैं बशर्ते कि भाजपा सदन चलने दे.' राज्यसभा में भी यही दृश्य देखने को मिला, जिसकी वजह से सभापति हामिद अंसारी को सदन की कार्यवाही पहले 12 बजे तक, फिर 12.30 बजे तक, उसके बाद दो बजे तक और फिर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी.

सदन में मौजूद एक सदस्य ने बताया कि अंसारी ने गतिरोध दूर करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने को भी कहा, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो सका. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भाजपा की सहयोगी जनता दल (युनाइटेड) हालांकि नारेबाजी में शामिल नहीं हुई, जो इस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने के पक्ष में है.

तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने भी विपक्षी दलों से अपील की कि वे कोयला आवंटन पर संसद में बहस करे. हंगामा पिछले सप्ताह सामने आए सीएजी की रपट को लेकर है, जिसमें कहा गया है कि निजी कम्पनियों को कोयला ब्लॉक आवंटन में पारदर्शिता नहीं बरते जाने के कारण सरकारी खजाने को पिछले साल 11 मार्च तक 1.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

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