पाकिस्तान में सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रहे टकराव पर चुप्पी तोड़ते हुए राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कहा है कि संसद पाकिस्तानी जनता की सच्ची प्रतिनिधि है और वह लोगों से जुड़े मुद्दों पर कानून बनाने का काम जारी रखेगी.
जरदारी ने गुरुवार को कराची में सांसदों, मंत्रियों और अपनी पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद सर्वोच्च होती है. उन्होंने कहा कि यह हर किसी का फर्ज है कि वह संसद का सम्मान करे क्योंकि यह पाकिस्तान की संप्रभु जनता की ओर से चुनी गई है.
राष्ट्रपति की यह टिप्पणी उस वक्त आई है कि जब सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के लिए सरकार पर दबाव बना रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ को 25 जुलाई तक जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के लिए स्विट्जरलैंड की सरकार से संपर्क करने को कहा है.
वैसे, अदालत का आदेश पर अमल नहीं करने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अशरफ को बचाने के मकसद से यहां एक ऐसा कानून बनाया गया है, जिसमें शीर्ष नेताओं को अदालती अवमानना से मुक्त करने की व्यवस्था की गई है. जरदारी के खिलाफ मामलों को फिर से खोलने के आदेश का पालन नहीं करने के कारण यूसुफ रजा गिलानी को अदालती अवमानना का दोषी करार दिया गया था और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अयोग्य भी करार दिया था. गिलानी के प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद अशरफ को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया.
जरदारी ने कहा, ‘संसद को पाकिस्तान की जनता ने चुना है और वह लोगों की आवाज है. संसद को लोगों की परेशानियों और जन कल्याण के मद्देनजर कानून बनाने का पूरा अधिकार है.’ उन्होंने कहा कि संविधान के तहत राष्ट्रपति भी संसद का एक हिस्सा है और राष्ट्रपति सांसदों से बात करता है तथा जरूरत पड़ने पर उनसे मुलाकात भी करता है.