सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के सहयोगियों ने जहां एक ओर सख्त भ्रष्टाचार निरोधी कानून की मांग को लेकर अपना अनिश्चितकालीन अनशन बुधवार से शुरू कर दिया, वहीं लोकपाल पर एक समिति के अध्यक्ष ने कहा है कि आठ अगस्त से शुरू हो रहे मानसून सत्र के दौरान समिति की रिपोर्ट सौंप पाना कठिन हो सकता है.
लोकपाल पर 'सेलेक्ट कमेटी' के अध्यक्ष सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा, 'हमारे पास काम करने के लिए जो समय था, उसके अनुसार हमने एक महीने में चार-पांच बैठकें की. समिति कार्यवाहियों को गति देने की कोशिश कर रही है, लेकिन रिपोर्ट सौंपना कठिन लगता है, क्योंकि पर्याप्त समय उपलब्ध नहीं है.'
लोकपाल विधेयक को 21 मई को राज्यसभा की 15 सदस्यीय समिति के पास भेज दिया गया था. समिति आठ अगस्त से सात सितंबर तक बुलाए गए मानसून सत्र के अंतिम सप्ताह के प्रथम दिन अपनी रपट सौंपने वाली थी.
दूसरी ओर केंद्र सरकार ने दोहराया है कि वह एक प्रभावी लोकपाल विधेयक लाने के लिए वचनबद्ध है.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने कहा, 'विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है और राज्यसभा में पेश किया गया है, जो कि अनिवार्य था. उसमें 185 से अधिक संशोधन सुझाए गए हैं. वहां इतनी बहस थी कि वह पारित नहीं हो सका. सांसदों ने उसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया, क्योंकि वे इसे एक ताकतवर कानून बनाने के लिए अधिक बहस करना चाहते थे.'
सोनी ने कहा, 'हमने खुलासा करने वालों को सुरक्षा मुहैया कराने और सिटिजन चार्टर जैसे कई अन्य विधेयक पारित कर दिए हैं, जिससे सरकार की यह इच्छा व वचनबद्धता जाहिर होती है कि वह अपने दैनिक क्रियाकलापों में पारदर्शिता लाना चाहती है.'
इस विधेयक पर पिछले वर्ष विस्तारित शीतकालीन सत्र में 29 दिसंबर को अंतिम बार बहस हुई थी. उस दिन संसद की बैठक आधी रात तक चली थी, लेकिन विधेयक पारित हुए बगैर कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी.