पाकिस्तान के आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा ने पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के साथ दुबई में एक गुप्त बैठक की और उन्हें देश नहीं लौटने की सलाह दी थी.
डॉन न्यूज चैनल ने बीती देर रात एक सूत्र के हवाले से कहा, ‘पूर्व राष्ट्रपति के बेहद करीबी जनरल पाशा ने दुबई में उनके (मुशर्रफ) साथ एक बैठक की और उन्हें यह कहते हुए देश नहीं लौटने की सलाह दी कि देश में हालात उनकी वापसी के अनुकूल नहीं हैं.’
चैनल ने अपने सूत्र के हवाले से बताया कि पाशा ने मुशर्रफ को ‘सख्त हिदायत’ दी कि वह आत्म निर्वासन छोड़कर पाकिस्तान ना लौटें. रिपोर्ट कहती है कि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह बैठक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की अगुवाई वाली सरकार के निर्देश पर हुई या यह निजी मुलाकात थी.
चैनल की रिपोर्ट में कहा गया कि पाशा से मुलाकात के बाद मुशर्रफ ने पाकिस्तान लौटने के अपने फैसले की समीक्षा करने के लिए 25 जनवरी को अपनी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग पार्टी की एक बैठक बुलायी. यह मीडिया रिपोर्ट संसद के ऊपरी सदन द्वारा पारित प्रस्ताव से संयोग रखती है जिसमें मांग की गयी थी कि पाकिस्तान लौटने पर मुशर्रफ को गिरफ्तार कर लिया जाए और संविधान को निष्प्रभावी करने को लेकर उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज किया जाए.
डॉन न्यूज चैनल ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पाशा के मुशर्रफ के साथ पुराने संबंध रहे हैं. वर्ष 2008 में मुशर्रफ के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान पाशा को सैन्य अभियान के महानिदेशक के महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति दी गयी थी. बाद में सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कियानी ने पाशा को पदोन्नति देकर लेफ्टिनेंट जनरल बना दिया और आईएसआई का प्रमुख नियुक्त कर दिया.
पाकिस्तान में मुशर्रफ के खिलाफ दो महत्वपूर्ण मामले दर्ज हैं. रावलपिंडी में एक आतंकवाद निरोधी अदालत ने मुशर्रफ को पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले में जांचकर्ताओं से सहयोग करने में विफल रहने के कारण उन्हें ‘घोषित भगोड़ा’ करार दे रखा है. बलूच राष्ट्रवादी नेता अकबर बुगती के वर्ष 2006 में एक सैन्य अभियान में मारे जाने के मामले में भी मुशर्रफ का नाम है.