दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का मानना है कि क्रिकेट से बेइंतहा प्यार करने के कारण उन्हें दो दशक से अधिक समय तक इस खेल में बने रहने में मदद मिली.
तेंदुलकर से पूछा गया कि चोटी के खिलाड़ियों को खुद को विभिन्न पहुलुओं जैसे कि दबाव और चोटों से खुद को कैसे बचाना चाहिए, उन्होंने कहा, ‘मैं आपका जवाब क्रिकेटर के रूप में दे सकता हूं. आपको क्रिकेट से बेइंतहा प्यार करना होगा. क्रिकेट मैदान पर नींव डालने से पहले आपको अपने दिल में ठोस नींव डाल देनी जानी चाहिए जिस पर आप आगे बढ़ते रहो.’
तेंदुलकर ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘इसके बाद जब आप अधिक से अधिक मैच खेलना शुरू करते हो तो आप सीखते हो कि कैसे रन बनाने हैं और कैसे विकेट बचाना है.’ इस स्टार बल्लेबाज ने स्पष्टीकरण दिया कि अपने बच्चों के साथ पर्याप्त समय बिताने की जरूरत के कारण उन्होंने श्रीलंका में होने वाली एकदिवसीय श्रृंखला से खुद को अलग रखा.
उन्होंने कहा, ‘मैंने बीसीसीआई से आग्रह किया था कि मैं अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहता हूं. यह स्कूल की छुट्टियों का समय था. यदि मैं श्रीलंका जाने का फैसला करता तो मुझे तभी से तैयारियां शुरू करनी पड़ती. लेकिन मैं अपने बच्चों के साथ समय बिताना चाहता हूं क्योंकि इसके बाद मैं अगले दस महीने तक लगातार खेलता रहूंगा.’
तेंदुलकर ने कहा, ‘स्कूली दिनों या सप्ताहांत के दिनों की तुलना में छुट्टियों में परिवार के साथ समय बिताना अलग अनुभव होता है.’
तेंदुलकर ने साफ किया कि भले ही अब वह सांसद हैं लेकिन उनका ध्यान पहले की तरह क्रिकेट पर ही रहेगा. इस 39 वर्षीय बल्लेबाज ने कहा, ‘भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाना मैं सम्मान समझता हूं. मुझे क्रिकेट में योगदान के लिये नामित किया गया है. मैं क्रिकेटर हूं और मैं अपने खेल पर ध्यान दूंगा.’
उन्होंने कहा कि वह सही समय पर विभिन्न मसलों पर निश्चित रूप से अपनी बात रखेंगे. तेंदुलकर ने कहा, ‘मैं रातों रात बदलाव नहीं ला सकता और इसमें कई चीजें शामिल हैं.’ तेंदुलकर ने कहा कि वह अपने बेटे अर्जुन या बेटी सारा पर कभी दबाव नहीं बनाएंगे और उन्हें अपनी पसंद का करियर चुनने की छूट देंगे.
अर्जुन को मुंबई के स्कूली मैचों में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद हाल में मुंबई की अंडर-14 टीम में चुना गया. तेंदुलकर ने कहा, ‘अर्जुन क्रिकेट का दीवाना है जबकि सारा को दवाईयों से लगाव है. प्रत्येक इंसान अलग होता है. मैं उनका मार्गदर्शन और सहयोग करना चाहता हूं. मैं उनको किसी क्षेत्र में जाने के लिये नहीं कहूगा. मैं चाहूंगा कि वे अपनी पसंद का करियर चुनें. मैं उन्हें केवल शुभकामनाएं दूंगा और उनसे कहूंगा कि वे जो भी करें उसका पूरा लुत्फ उठाएं.’