ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजद) के विधायक झिना हिकाका को अगवा करने वाले नक्सलियों ने बुधवार को राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कदम नहीं उठा रही है.
नक्सलियों ने विधायक हिकाका की किस्मत का फैसला जनता की अदालत में करने की घोषणा की है. वहीं, सर्वोच्च न्यायालय अगवा विधायक को मुक्त कराने के बदले नक्सल गतिविधियों में संलिप्तता के आरोपी 29 कैदियों की रिहाई से राज्य सरकार को रोकने से सम्बंधित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगा.
ज्ञात हो कि नक्सलियों द्वारा अपनी मांगों पर फैसला करने के लिए राज्य सरकार को दी गई मोहलत बुधवार शाम समाप्त हो गई. स्वयं को अरुणा के रूप में पेश करने वाली एक नक्सली नेता ने ऑडियो संदेश में कहा, 'हमें सरकार में अब कोई विश्वास नहीं है.'
नक्सली नेता का यह ऑडियो संदेश कुछ पत्रकारों को मिला जिसे कुछ टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित किया गया. प्रजा अदालत कब और कहां आयोजित की जाएगी इसके बारे में कोई स्पष्ट संकेत न देते हुए नक्सली नेता ने कहा, 'अब समय-सीमा बढ़ाने का कोई सवाल नहीं उठता. अब झिना हिकाका की किस्मत का फैसला जनता की अदालत में होगा.'
उल्लेखनीय है कि नक्सलियों ने 24 मार्च को हिकाका को राज्य के कोरापुट जिले में पहाड़ी इलाके से अगवा कर लिया था. उन्हें छोड़ने के लिए नक्सलियों ने 29 कैदियों की रिहाई की मांग रखी है. इनमें से ज्यादातर चासी मुलिआ आदिवासी संघ के सदस्य हैं. वहीं, सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह हिकाका की रिहाई के बाद ही उपयुक्त मामलों में कैदियों पर से मामले वापस लेने के बारे में विचार करेगी.
राज्य सरकार करीब 25 कैदियों की रिहाई के लिए तैयार हुई थी लेकिन नक्सलियों ने कहा कि राज्य सरकार निर्दोष ग्रामीणों को छोड़ने पर ईमानदार नहीं है. इस बीच, राज्य गृह सचिव यू.एन. बेहरा ने शाम को कहा कि नक्सलियों द्वारा हाल में जारी ऑडियो संदेश के बारे में सरकार को जानकारी नहीं है. बेहुरा ने नक्सलियों से विधायक को रिहा करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि कानून की प्रक्रिया पूरी करने के बाद सरकार 13 कैदियों को छोड़ने का फैसला किया है.