लोकपाल विधेयक पारित कराने की मांग पर इस महीने की 25 तारीख से जंतर मंतर पर अनशन करने जा रहे अरविंद केजरीवाल ने कहा कि टीम अन्ना के लिए यह आर-पार की लड़ाई है और वे बलिदान के लिए तैयार होकर अनशन पर बैठेंगे.
इस बार अन्ना हज़ारे की बजाय उनकी टीम के केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और गोपाल रॉय आदि अनशन करेंगे.
केजरीवाल ने कहा कि इस अनशन से रामराज्य नहीं आ जाएगा. लड़ाई अभी बहुत लंबी है लेकिन हमारे लिए यह आर-पार की लड़ाई है. हम बलिदान के लिए तैयार होकर अनशन पर बैठेंगे.
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के 34 मंत्रियों में से 15 पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. अगर लोकपाल बन जाता तो कई मंत्री जेल में होते. इसलिए ये कभी नहीं चाहेंगे कि लोकपाल आये.
उन्होंने संसद में कुछ सदस्यों के दागी होने का अपना आरोप भी दोहराया. प्रधानमंत्री समेत 15 मंत्रियों के खिलाफ आरोपों की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए ही लोकपाल की लड़ाई लड़ने की उन्होंने बात की.
उन्होंने कहा कि सरकार के साथ सबसे पहले लोकपाल के लिए जो संयुक्त मसौदा समिति बनाई गयी थी, उसमें शामिल पांच मंत्रियों में से चार पर आरोप हैं. अपने उपर लग रहे निरंकुशता के आरोपों के संबंध में पूछे गये सवाल पर केजरीवाल ने कहा कि कुछ लोगों ने पहले अन्ना हजारे पर निशाना साधा लेकिन ऐसा करने से उनका ही कॅरियर खराब हो गया तो उन्होंने मुझे निशाना बनाना शुरू कर दिया है.
टीम अन्ना से अलग हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं पीवी राजगोपाल और राजेंद्र सिंह आदि से मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा कि हम तभी से जानना चाह रहे हैं कि उनके अलग होने की क्या वजहें रहीं लेकिन उन्होंने अब तक स्पष्ट नहीं किया.
साथ ही उन्होंने कहा कि यह किसी का शादी ब्याह नहीं है. यह देश के करोड़ों लोगों का आंदोलन है. कौरवों और पांडवों की लड़ाई है, जिसमें एक तरफ भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार है और दूसरी तरफ करोड़ों लोग हैं. अब यह लोगों को तय करना है कि वे किस ओर रहना चाहते हैं.
अनशन के संदर्भ में बांटे जा रहे पर्चों में अन्ना हजारे के साथ केवल केजरीवाल की तस्वीर होने और अन्य साथियों को तवज्जो नहीं दिये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस तरह का आरोप आंदोलन को तोड़ने की कोशिश है. आरोप लगाने वालों को उस पर्चे पर 15 मंत्रियों की बड़ी तस्वीरें नहीं दिखाई दे रहीं हैं.
लोकपाल विधेयक पर विचार कर रही राज्यसभा की प्रवर समिति पर एक बार फिर सवाल खड़ा करते हुए केजरीवाल ने कहा कि समिति का गठन ही लोकपाल को टालने के लिए किया गया है. उन्होंने लोकपाल पारित नहीं होने के लिए कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा समेत सभी राजनीतिक दलों को जिम्मेदार ठहराया.