पेट्रोल मूल्य बढ़ोत्तरी के विरोध में भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा अलग अलग आयोजित बंद के लिये अलग अलग तरीके से व्यापक तैयारियां की जा रही हैं. इस बंद को समर्थन देने के लिये अनेक व्यापारी संगठन भी मैदान में आ गये हैं.
पेट्रोल के दामों में अभूतपूर्व वृद्धि के खिलाफ कल राष्ट्रव्यापी बंद के लिए वामपंथी और दक्षिणपंथी दल एक हो गये हैं. अंतर बस इतना है कि भाजपा तथा उसके सहयोगियों ने इसे भारत बंद वहीं वामदलों ने अखिल भारतीय विरोध दिवस कहा है.
पिछले लोकसभा चुनाव के बाद दूसरी बार ऐसा हो रहा है कि भाजपा, वामदल और अन्य गैर कांग्रेसी दल आम जनता के मुद्दे पर एकजुट विपक्ष की धारणा के साथ आंदोलन करेंगे. इससे पहले पांच जुलाई, 2010 को भी पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी के खिलाफ इसी तरह का आंदोलन किया गया था.
संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रही मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी ने भी गुरुवार को बंद का आह्वान किया है और ओड़िशा में बीजद भी पीछे नहीं रही.
विपक्ष द्वारा कुछ संप्रग सहयोगियों को भी अपने आंदोलन में शामिल करने के प्रयासों के संकेतों के बीच भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि द्रमुक जैसे दल बंद में शामिल होंगे. गडकरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘संप्रग सरकार ने 18 से 19 मौकों पर पेट्रोल के दाम बढ़ाये. अब रुपया भी और गिर गया है. हालत इस कदर बिगड़ रहे हैं कि हम उस स्तर पर पहुंच गये हैं जहां हमें अपना सोना फिर गिरवी रखना पड़ सकता है. हम चाहेंगे कि सभी दल पेट्रोल मूल्यवृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन में हमारा साथ दें.’
द्रमुक ने धमकी दी थी कि वह पेट्रोल के दामों में वृद्धि के चलते कांग्रेस नीत संप्रग सरकार से समर्थन वापसी के बारे में सोच सकती है. हालांकि बाद में द्रमुक अध्यक्ष के करुणानिधि ने स्पष्ट किया कि पार्टी संप्रग में रहते हुए सरकार के इस फैसले का विरोध करेगी.
राजग के संयोजक शरद यादव ने कहा कि विपक्षी दलों को इस बात का भरोसा नहीं है कि सरकार डीजल और एलपीजी के दाम नहीं बढ़ाएगी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकारी आदेश जारी कर दिया है कि 31 मई को किसी तरह की छुट्टी की दरख्वास्त मंजूर नहीं होगी और दफ्तर नहीं आने वालों का वेतन काट लिया जाएगा. दिल्ली में भी बीजेपी ने लोगों से अपील की है कि वो घर में ही रहें.
उधर दिल्ली पुलिस ने चेतावनी दी है कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर आम जनजीवन में रुकावट डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. कुल मिलाकर बंद को सफल करने और नाकाम करने के लिए जहां जैसी सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल हो सकता था वो सब किया जा रहा है.
लेकिन जनता से जुड़े मुद्दे पर हो रहे सियासी हंगामे में रेल, सड़क और जरूरी सुविधाओं को लेकर जनता कितनी परेशान होगी, ये बात शायद ही किसी राजनीतिक दल को होगी.