तेल कंपनियां इस पखवाड़े पेट्रोल के दाम नहीं बढायेंगी. ऐसा लगता है कि विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पेट्रोल के दाम में दो रुपये लीटर की वृद्धि के लिये राजनीतिक स्तर पर हरी झंडी नहीं मिल पाई है.
इंडियन ऑयल कापरेरेशन और अन्य तेल कंपनियां पिछले महीने भी दाम नहीं बढा पाई थी. संसद का सत्र जारी रहने की वजह से सरकार को पेट्रोल की मूल्य वृद्धि पर विपक्षी दलों से विरोध का अंदेशा था, बहरहाल, इस पखवाड़े भी नहीं लगता है कि वह पेट्रोल के दाम बढ़ायेंगी.
डालर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर कम होने से तेल कंपनियों को पेट्रोल की मौजूदा खुदरा कीमतों पर करीब दो रुपये का घाटा हो रहा है. पेट्रोल के दाम एक साल पहले जून में सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिये गये थे लेकिन अभी अप्रत्यक्ष तौर पर कंपनियों को राजनीतिक नेतृत्व से हरी झंडी लेनी होती है.
बहरहाल, सरकार नहीं चाहती कि सत्ता गठबंधन में सहयोगी तृणमूल कांग्रेस को एक बार फिर नाराज किया जाये. तृणमूल कांग्रेस ईंधन मूल्य में किसी भी वृद्धि के खिलाफ है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव सामने हैं. सूत्रों का कहना है कि ऐसे मौके पर पेट्रोल के दाम बढ़ने से सत्तापक्ष की छवि पर असर पड़ेगा.
सरकार तेल कंपनियों में बहुमत हिस्सेदार है. ऐसे में कंपनियों को दाम बढ़ाने से पहले अपने सबसे बड़े शेयरधारक से सलाह मशविरा और अनौपचारिक मंजूरी लेनी होती है. दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में डालर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर घटकर 53.07 तक गिर जाने के बाद कंपनियों को पेट्रोल में दो रुपये का नुकसान होने लगा. इससे पहले विनिमय दर 51.98 रुपये प्रति डालर पर थी.