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फूलन देवी की वसीयत पर खड़ा हुआ विवाद

फूलन देवी की मौत के 10 साल हो चुके हैं. अब तक किसी को मालूम भी नहीं था कि फूलन ने कोई वसीयत भी लिखी थी लेकिन, अचानक सामने आई है एक वसीयत, जिसे लेकर बड़ा विवाद शुरू हो गया है.

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फूलन देवी
फूलन देवी

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फूलन देवी की मौत के 10 साल हो चुके हैं. अब तक किसी को मालूम भी नहीं था कि फूलन ने कोई वसीयत भी लिखी थी लेकिन, अचानक सामने आई है एक वसीयत, जिसे लेकर बड़ा विवाद शुरू हो गया है.

बीहड़ों से लेकर संसद तक का सफर तय करने वाली फूलन का नाम मौत के दस साल बाद वसीयत की वजह से चर्चा में है. फूलन के वकील ने अचानक इस वसीयत को सार्वजनिक करते हुए दावा किया है कि फूलन ने अपनी सारी संपत्ति एकलव्य सेना के नाम कर दी थी.

वसीयत आखिर फूलन की मौत के 10 बाद क्यों सार्वजनिक की जा रही है? फूलन के 85 वर्षीय वकील का कहना है कि अब मेरी सेहत ठीक नहीं रह रही है, इसीलिए इस वक्त का चुनाव किया.

एकलव्य सेना के प्रमुख बीएस खजांची की उम्र भी 80 साल है, वे बीमार हैं. घरवाले कहते हैं हमें भी इस वसीयत की जानकारी नहीं थी. वसीयत पर सबसे बड़ा सवाल इसके एक गवाह ने ही उठा दिया है. चार पन्नों की इस वसीयत पर बतौर गवाह नरेंद्र सिंह और मोहम्मद असीम के हस्ताक्षर हैं लेकिन इन गवाहों का कहना है कि वसीयत फर्जी है. मोहम्मद असीम ने आजतक को भेजे एसएमएस में कहा है कि मुझे वसीयत से कोई मतलब नहीं है. मेरे सामने वसीयत नहीं बनी थी और ये पूरी तरह से बोगस है.

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एकलव्य सेना का गठन, वसीयत बनना और फूलन की हत्या ये सब एक के बाद एक होते हैं. ऐसे में एक सवाल ये भी खड़ा करता है कि क्या फूलन को अपनी हत्या का आभास हो गया था? फूलन ने वसीयत में एक जगह लिखा है कि मेरी जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है.

25 जुलाई 2001 को फूलन की हत्या हुई थी और उसके ठीक 27 दिन पहले 28 जून को फूलन की वसीयत लिखी जाती है. ध्यान देने की बात ये है कि इसी साल 24 अप्रैल को फूलन ने एकलव्य सेना समिति बनाई थी. फूलन की पूरी संपत्ति करीब 40 करोड़ की बताई जा रही है.

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