बलात्कार के आरोप में 26 दिन हिरासत में रहने के बाद जेल से जमानत पर रिहा हुई एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता एथलीट पिंकी प्रमाणिक ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनके हाथ और पैर बांध दिए थे जिसके बाद जबर्दस्ती उनका लिंग निर्धारण परीक्षण किया गया.
संन्यास ले चुकी मध्यम दूरी की इस धाविका को मंगलवार को बारासात की अदालत ने जमानत दी थी जिसके बाद उन्हें दमदम केंद्रीय कारागार से रिहा कर दिया गया. पिंकी ने कहा कि वह लगातार रोती रही और उन्होंने लिंग परीक्षण का प्रतिरोध किया लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी.
पिंकी ने आरोप लगाया, ‘उन्होंने मेरे हाथ और पैर बांध दिए और मुझे परीक्षण के लिए निजी नर्सिंग होम ले गए. मैं रोती रही और मैंने प्रतिरोध किया लेकिन किसी ने मेरी नहीं सुनी.’
पिंकी को 14 जून को गिरफ्तार किया गया था जब उनके साथ रह रही 30 वर्षीय महिला ने उनके पुरुष होने और बलात्कार करने का आरोप लगाया था.
दोहा 2006 एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता पिंकी ने कहा कि उन्हें बलात्कार के मामले में फंसाया गया है.
उन्होंने कहा, ‘वह (शिकायतकर्ता) मेरे यहां काम करती थी. उसने काफी समय पहले मुझसे पैसे मांगे थे लेकिन मैंने उसे नहीं दिए जिसके बाद उसने यह रास्ता अपनाया.’
पिंकी इस दौरान संवादाताओं से बात करते हुए फफक पड़ी और उन्होंने कहा कि वह न्याय पाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में अपने वकीलों से बात करेंगी. इसके अलावा कलकत्ता उच्च न्यायालय में छह जुलाई को एक जनहित याचिका भी दायर की गई जिसमें इस एथलीट पर गैरमानवीय प्रताड़ना करने का आरोप लगाया गया है.
अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि वह जांच की प्रगति पर दो हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर करे.
पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले में कदम उठाते हुए गृह, स्वास्थ्य और पुलिस विभाग को निर्देश दिया था कि वे पुलिस और जेल हिरासत में इस एथलीट को दी जा रही ‘प्रताड़ना’ के आरोपों की जांच करें.
पिंकी ने उन खिलाड़ियों का धन्यवाद दिया जिन्होंने अधिकारियों द्वारा उनके साथ किए जा रहे व्यवहार के खिलाफ प्रदर्शन किया था.
यह एथलीट इसके बाद अपने घर की चाबी लेने बागुइआती पुलिस स्टेशन गई. बागुआती के टेघोरिया में स्थित उनके फ्लैट की चाबी हालांकि गायब थी जिसके बाद पिंकी ने पुलिस की मदद से फ्लैट में प्रवेश किया.
पिंकी के वकील तुहिन राय ने कहा, ‘आपराधिक दंड संहिता की धारा 181-184 के तहत अपने ही घर में ताला तोड़कर घुसना कानूनन घुसपैठ नहीं है. वह शायद एक बार फिर कानूनी पचड़े में फंसने से डर रही थी इसलिए वह ताला तोड़कर अंदर नहीं गई’
यह पूछने पर कि क्या वह पूर्व रेलवे में अपना काम जारी रख सकती हैं जिसने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद निलंबत कर दिया था.
राय ने कहा, ‘जब तक किसी को दोषी करार नहीं दिया जाता वह कानूनी तौर पर काम कर सकता है. यह फैसला उन्हें करना है.’
पूर्वी रेलवे के प्रवक्ता ने कहा, ‘रेलवे अदालत का आदेश देखने के बाद इस पर (निलंबन) फैसला करेगी.'