भगवान कृष्ण जिस बांसुरी की धुन से वृंदावन और मथुरा की कन्याओं, पशु-पक्षियों को मोहपाश में बांध लिया करते थे, उसका उपयोग आज के जीवनशैली जनित तनाव को दूर भगाने में किया जा रहा है. इसे 'बांसुरी योग' के रूप में जाना जाता है.
बांसुरी योग का विकास एस. व्यास योग विश्वविद्यालय ने किया है. यह पारम्परिक योग का मिलाजुला रूप है. इस पद्धति में बांसुरी की धुनों पर श्वास नियंत्रण का अभ्यास किया जाता है.
बांसुरी योग को दिल्ली में 9 से 12 अगस्त तक आयोजित होने वाले तीसरे विश्व बांसुरी उत्सव 'रसरंग 2012' में शामिल किया गया है. उत्सव का आयोजन केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और कृष्ण प्रेरणा फाउंडेशन ने मशहूर मुरलीवादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया के सहयोग से किया है.
कृष्ण प्रेरणा फाउंडेशन के संस्थापक अरुण बुद्धिराजा ने कहा, 'राजधानी के अशोक होटल में विशेषज्ञों की एक टीम चार दिनों तक 12 कार्यशालाओं में बांसुरी योग का प्रदर्शन करेंगे और इसके स्वास्थ्य लाभ के बारे में बताएंगे.'
उन्होंने बांसुरी योग के बारे में बताया, 'इससे शारीरिक और मानसिक विकार दूर होते हैं. बांसुरी योग का पाठ्यक्रम दो समूहों के लिए बनाया गया है- कम्पनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए और साधारण लोगों के लिए.'