अलकायदा सरगना ओसामा बिना लादेन मौत के सालभर बाद भी अमेरिका की राजनीति में छाया है. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार मिट रोमनी ने जहां राष्ट्रपति बराक ओबामा पर इस मुद्दे को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है, वहीं ओबामा ने इससे इंकार किया है.
उधर, अमेरिकी विश्लेषकों का कहना है कि आतंकवाद अभी समाप्त नहीं हुआ है और पाकिस्तान अब भी आतंकवाद का अड्डा बना हुआ है. उनका यह भी कहना है कि उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के देशों में आतंकवाद बढ़ रहा है.
ओसामा की मौत को एक साल पूरे होने ओबामा और रोमनी के बीच वाक्युद्ध की शुरुआत एक सप्ताह पहले हुई थी, जब ओबामा ने राष्ट्रपति चुनाव प्रचार से संबंधित एक वेब विज्ञापन में यह सवाल उठाया था कि क्या रोमनी भी ओवल कार्यालय से इसी तरह का काम दिखा कर सकते हैं?
जवाब में रोमनी की प्रवक्ता एंड्रिया सॉल ने कहा कि ओबामा, ओसामा की मौत पर सस्ती राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ रोमनी की नीतियों को गलत तरीके से पेश किया गया है.
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ओबामा ने सोमवार को कहा कि ओसामा के खिलाफ लिया गया फैसला बिल्कुल स्पष्ट था. उन्होंने जो कहा था, उसे कर दिखाया.
इस बीच, काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के अध्यक्ष रिचर्ड एन. हास ने कहा कि ओसामा का मारा जाना वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी जीत है. लेकिन दो वास्तविकताओं को याद रखने की जरूरत है. पहली तो यह कि आतंकवाद का विकेंद्रीकरण हो गया है और दूसरा यह कि पाकिस्तान में अब भी कुछ खतरनाक आतंकवादियों ने शरण ले रखी है और पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में बहुत कम भागीदारी निभा रहा है.
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व अधिकारी ब्रुश रीडेल ने इससे सहमति जताते हुए कहा, 'ओसामा की मौत अलकायदा के लिए झटका है, लेकिन आतंकवाद अब भी दुनिया के लिए खतरा है. यह बेशक रक्षात्मक हो गया है, लेकिन अभी यह पराजित नहीं हुआ है.'
सीआईए के एक अन्य पूर्व अधिकारी रेयूल मार्क गेरेच ने भी इससे सहमति जताते हुए कहा, 'मुझे नहीं लगता कि ओसामा की मौत से पाकिस्तान व अफगानिस्तान के जिहादियों की आगामी योजना प्रभावित होगी.'