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प्रणब को आरबीआई से ब्याज दरों में कमी की उम्मीद

रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के बीच वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को भरोसा जताया कि केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति में समायोजन करेगा ताकि अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से निपटा जा सके.

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प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी

रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के बीच वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को भरोसा जताया कि केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति में समायोजन करेगा ताकि अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से निपटा जा सके.

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वित्त मंत्री ने ऐसोचैम द्वारा वित्तीय क्षेत्र पर आयोजित सम्मेलन में कहा ‘आरबीआई सबसे प्रतिष्ठित मौद्रिक संस्थानों में से है. जिस तरह हम वित्तीय नीति में समायोजन कर रहे हैं, मुझे भरोसा है कि वह भी मौद्रिक नीति में जरुरी समायोजन करेगा.’

संप्रग द्वारा मुखर्जी को अगले महीने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिये अपना उम्मीदवार बनाये जाने के बाद अपने पहले सार्वजनिक भाषण में मुखर्जी ने अर्थव्यवस्था के समक्ष कम आर्थिक वृद्धि, उच्च राजकोषीय एवं चालू खाते का घाटा, मुद्रास्फीति और नकारात्मक रुझान की प्रमुख चुनौती बताई. उन्होंने कहा कि सरकार राजकोषीय पहल कर रही है ताकि इन मुश्किल हालात में केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत रहे. उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि आरबीआई मौद्रिक पहल करेगा.

यूरोक्षेत्र संकट के बारे में मुखर्जी ने कहा कि भारत की चिंता इस बात को लेकर है कि यूनान क्या यूरो मुद्रा वाले समूह का हिस्सा बना रहेगा. इस संबंध में भारत अन्य देशों की तरह ही चिंतित है क्योंकि इन घटनाक्रमों का असर रुपए पर हो रहा है. पिछले साल भर में डालर के मुकाबले रुपए के मूल्य में करीब 20 फीसद की गिरावट आई है. राजकोषीय घाटे से जुड़ी चिंता के संबंध में उन्होंने कहा, ‘हम कदम उठा रहे हैं, चुपचाप नहीं बैठे. यदि केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति कमजोर होती है तो भारतीय अर्थव्यवस्था को कोई नहीं उबार सकेगा.’

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वैश्विक रेटिंग एजेंसियों द्वारा जाहिर आशंकाओं के बारे में उन्होंने कहा, ‘एक वित्त मंत्री के तौर पर मैं जमीनी हकीकत, भारतीय उद्योग और साख निर्धारण एजेंसियों द्वारा व्यक्त की जा रही आशंकाओं को नजरंदाज नहीं कर सकता.’ वित्त मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जबकि वैश्विक रेटिंग एजेंसी, स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने चेतावनी दी है कि भारत की रेटिंग निवेश श्रेणी से नीचे की जा सकती है.

मुखर्जी ने कहा कि सरकार अपनी वित्तीय स्थिति को व्यवस्थित करने और सब्सिडी कम करने के बारे में काम कर रही है. उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी सब्सिडी घटानी होगी. मैंने अनुमान जाहिर किया था कि इसे सकल घरेलू उत्पाद के दो फीसदी के बराबर होना चाहिए. हम इसे ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर सकते. सब्सिडी को लाभार्थी तक पहुंचाने के लिए हमें आपूर्ति प्रणली में सुधार करना होगा और हम कदम उठा रहे हैं, चुपचाप नहीं बैठे हैं.’

सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान सब्सिडी बिल को घटाकर सकल घरेलू उत्पाद के दो फीसदी पर लाने और इसके बाद के वर्षों में इसे 1.75 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है. सरकार ने 2012-13 में खाद्य, ईंधन और उर्वरक सहित प्रमुख सब्सिडी 1.79 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान लगाया है जो पिछले वित्त वर्ष के 2.08 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े से कम है.

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देश की मुश्किल आर्थिक स्थिति और यूरोक्षेत्र संकट की अनिश्चितता का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा, ‘रुपए का अवमूल्यन जो कि यूरोक्षेत्र संकट के साथ काफी गहराई से जुड़ा है, चिंता का विषय है.’ उन्होंने कहा कि विकसित देशों में वृद्धि उम्मीद के अनुरूप नहीं है, इटली में मंदी है और ब्रिटेन मंदी की कगार पर है, ऐसे में वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट का सामना कर रही है. मुखर्जी ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत घटने से देश को फायदा होगा. उन्होंने कहा, ‘हम कुछ हद तक ही अपना आयात बिल घटा सकते हैं.’ कच्चे तेल की कीमत घटकर 90 डालर प्रति बैरल पर पहुंच गई है जो इससे पहले इस साल 120 डालर प्रति बैरल पर थी.

उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने के मामले में मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने पेट्रोलियम पदार्थों पर अस्थाई तौर पर शुल्क कम करने के बारे में मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा, ‘मैंने उन्हें (मुख्यमंत्रियों को) सुझाव दिया है कि कच्चे तेल के दाम 90 डालर प्रति बैरल तक नीचे आने तक अस्थाई तौर पर आप कर का बोझ करने के लिए सहमत हैं, तो केंद्र सरकार भी कम करने के लिए तैयार है. इससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी.’ उन्होंने कहा, ‘जब हालात मुश्किल हैं तो इसका बोझ हर संबद्ध पक्ष पर डालना चाहिए, इसका बोझ सिर्फ एक पक्ष पर नहीं पड़ना चाहिए.’ तेल विपणन कपंनियों ने मई में पेट्रोल की कीमत में 7.50 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी. बाद में जून में इसमें दो रुपए प्रति लीटर की कटौती कर दी गई.

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