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प्रणब मुखर्जी ने बड़े अंतर से जीता राष्‍ट्रपति चुनाव

तमाम‍ सियासी ड्रामे के बीच हुए राष्‍ट्रपति चुनाव में आखिरकार जीत प्रणब मुखर्जी के ही हाथ आई है. प्रणब मुखर्जी 25 जुलाई को राष्‍ट्रपति पद की शपथ लेंगे.

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प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी

तमाम‍ सियासी ड्रामे के बीच हुए राष्‍ट्रपति चुनाव में आखिरकार जीत प्रणब मुखर्जी के ही हाथ आई है. प्रणब मुखर्जी 25 जुलाई को राष्‍ट्रपति पद की शपथ लेंगे.

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प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति चुन लिये गये हैं. उनको 7 लाख 13 हजार 763 मत मूल्य मिले, जबकि बीजेपी समर्थित प्रतिद्वंद्वी पीए संगमा को मात्र 3 लाख 15 हजार 987 मत मूल्य हासिल हुए.

संप्रग के प्रत्याशी 76 वर्षीय प्रणब मुखर्जी की जीत तो पहले से ही लगभग तय मानी जा रही थी और उन्हें 69.3 प्रतिशत मत मिले, जबकि उनके प्रतिद्वन्द्वी संगमा को 31 प्रतिशत मत मिले. इस चुनाव में राजग और वाममोर्चा दोनों में दरार नजर आयी. संगमा को कर्नाटक के भाजपा विधायकों की क्रॉस वोटिंग का सामना करना पड़ा, जबकि जदयू, शिवसेना जैसे राजग के घटक पहले ही मुखर्जी को समर्थन की घोषणा कर चुके थे. वाममोर्चा के घटक दलों ने भी इन चुनावों में अलग अलग राय रखी.

अपने समर्थकों के बीच ‘दादा’ के नाम से पुकारे जाने वाले प्रणब मुखर्जी देश के इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाले पश्चिम बंगाल से पहले नेता हैं. उन्हें आगामी 25 जुलाई को संसद के केन्द्रीय कक्ष में भारत के प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाड़िया पूर्वाह्न 11 बजे शपथ दिलायेंगे.

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मौजूदा राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को 1000 सैनिकों की सलामी के साथ बुधवार 25 जुलाई को विदाई दी जाएगी और प्रणब के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद वही 1000 सैनिक अपने नये ‘मुख्य सेनापति’ को सलामी देंगे.

प्रणब को जीत के लिए बधाई देने के साथ संगमा ने ऐसे संकेत दिये हैं कि वह इन नतीजों को अदालत में चुनौती दे सकते हैं. आदिवासी कार्ड खेल रहे संगमा को उनके क्षेत्र पूर्वोत्तर के राज्यों से भी निराशा हाथ लगी है.

देश का अगला राष्ट्रपति चुने जाने के बाद प्रणब ने आज कहा कि देश भर से मिले समर्थन के लिए वह सभी के आभारी हैं. अपने आवास के बाहर संवाददाताओं से उन्होंने कहा, ‘पूरे देश से मुझे जबर्दस्त समर्थन मिला है जिसके लिए मैं सभी का आभारी हूं.’

प्रणब ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में संविधान का संरक्षण और उसे बचाना उनकी जिम्मेदारी होगी. संगमा द्वारा बधाई दिये जाने की खबर पर प्रणव ने कहा कि वह संगमा का भी धन्यवाद करते हैं. इस महीने की 19 तारीख को हुए चुनाव में 776 सासंदों में से 748 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जिसमें से प्रणब को 527 और संगमा को 206 सांसदों ने मत दिया. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव सहित 15 सांसदों के मत अयोग्य करार दिये गये.

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प्रणब के जीत के लिए जादुई आंकड़ा पार होने की घोषणा के कुछ समय बाद ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव राहुल गांधी ने प्रणब दा को उनके मौजूदा 13 तालकटोरा रोड स्थित आवास पर जाकर बधाई दी. बधाई देने वालों में कई राजनीतिक दल, सांसद, विधायक, केन्द्रीय मंत्री, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव आदि शामिल थे.

प्रणब के पुत्र अभिजीत मुखर्जी ने पिता की जीत पर कहा, ‘उन्हें (प्रणब को) अपनी जीत का विश्वास शुरू से ही था और वह राष्ट्रपति के रूप में अपनी भूमिका साबित करेंगे. उन्हें इस बात का अफसोस नहीं है कि वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाये लेकिन अब वह राष्ट्रपति बने हैं जो समान रूप से और संवैधानिक रूप से सर्वोच्च पद है.’

भारत और भारतीयता के तानेबाने को पूरी तत्परता और पार्किकता से समझने में सक्षम राजनीति के शब्दकोश, सत्ता के गलियारों में मान्य संकटमोचक, प्रशासक और दलों की सीमा के पार अपनी स्वीकार्यता के संवाहक प्रणब कुमार मुखर्जी के देश का राष्ट्रपति चुने को सुखद संकेत माना जाएगा.

दलीय सीमाओं से परे उनकी स्वकार्यता ने ही विपक्षी गठबंधन राजग में राग द्वेष खडे किये और जद-यू शिवसेना जैसे धुर विरोधी उनके समर्थन में नजर आये. और तो और अरुण जेटली जैसे प्रखर विरोधी भी जब उनकी तुलना क्रिकेट के योद्धा सर डान ब्रेडमैन से करने लगे तो यह संतोष हो जाता है कि देश में शीर्ष संवैधानिक पद प्रथम नागरिक और अपना सर्वोच्च सेनापति का पद वाकई सक्षम और सुधि हाथों में है. राष्ट्रपति पद की दौड में शुरूआत से ही कई उतार चढाव देखने को मिले. संप्रग की प्रमुख घटक तृणमूल कांग्रेस ने काफी ना नुकुर के बाद अंतत: प्रणब की उम्मीदवारी पर समर्थन दे दिया. उधर राजग के घटक जदयू और शिवसेना ने भी मुखर्जी का समर्थन किया.

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भले ही प्रणब दा को महज विरोध के लिए विरोध के नाम पर पीए संगमा से मुकाबला करना पडा हो पर उनका अनुभव उनको जीत के लिए बहुत पहले आश्वस्त कर चुका था. तभी तो उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें राष्ट्रपति भवन का लॉन काफी पसंद है. ‘मुझे सुबह टहलने की आदत है. मैं अपने लॉन में 30-40 चक्कर लगाता हूं. राष्ट्रपति भवन का लॉन काफी बड़ा है. किसी को इतने चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी.’

वह पहली बार 1969 में राज्यसभा के लिए चुने गए. एक बार राज्यसभा की ओर गए तो कई वर्षों तक जनता के बीच जाकर चुनाव नहीं लड़ा. सियासी जिंदगी में करीब 35 साल बाद उन्होंने लोकसभा का रुख किया. 2004 में वह पहली बार पश्चिम बंगाल के जंगीपुर संसदीय क्षेत्र से चुने गए. 2009 में भी वह लोकसभा पहुंचे.

उनके इस शीर्ष पद पर चुने जाने के बाद उनको बधाई देने वालों का तांता लग गया. उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव राहुल गांधी के अलावा प्रणब मुखर्जी के आवास पर पहुंचकर उन्हें बधाई दी इसके अलावा रक्षा मंत्री ए के एंटनी, गृह मंत्री पी चिदंबरम, उर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे, अक्षय उर्जा मंत्री फारुक अब्दुल्ला, राज्यों मुख्यमंत्रियों में ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल), अखिलेश यादव (उत्तर प्रदेश), अशोक गहलोत (राजस्थान) और उमर अब्दुल्ला (जम्मू कश्मीर) आदि अनेक नेताओं ने उन्हें बधाई दी.

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