कई दिनों से चल रहे भ्रम को समाप्त करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति पद के लिए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी उनकी पहली पसंद हैं और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी दूसरी.
सोनिया गांधी ने अपने मन की बात ममता बनर्जी से कही लेकिन तृणमूल कांग्रेस की नेता ने यह कहते हुए उन्हें अपनी पार्टी के समर्थन का वादा नहीं किया कि वह समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और अपनी पार्टी में चर्चा के बाद ही अपने रुख से अवगत करायेंगी.
ममता ने सोनिया गांधी के साथ 30 मिनट की मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘हमारे बीच विस्तृत चर्चा हुई. सोनियाजी ने मुझे बताया कि उन्होंने दो-चार सहयोगी दलों के साथ बैठकें की हैं और उनकी पहली पसंद प्रणव मुखर्जी और दूसरी पसंद हामिद अंसारी हैं.’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सोनिया गांधी से कहा, ‘फिलहाल मैं कुछ नहीं कह सकती. हमें इस विषय पर मुलायम सिंह यादव से और मेरी अपनी पार्टी के अंदर भी चर्चा करने की जरूरत है. उसके बाद ही हम कुछ कह सकते हैं.’ संप्रग के दूसरे सबसे बड़े घटक तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बाद में मुलायम से मिलीं. मंगलवार शाम से ममता की सपा नेता से यह दूसरी भेंट थी.
ऐसा समझा जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और सपा प्रमुख अपने राज्यों क्रमश: पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के लिए वित्तीय पैकेज पाने के लिए अपने प्रयासों में तालमेल कायम कर रहे हैं. हालांकि कांग्रेस प्रमुख से मिलने के पहले ममता ने कहा था कि केंद्रीय ऋण पर ब्याज के भुगतान पर तीन साल की रोक की उनकी मांग को राष्ट्रपति चुनाव में संप्रग के उम्मीदवार को उनकी पार्टी के समर्थन के साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘नहीं, नहीं, नहीं, राष्ट्रपति चुनाव में संप्रग को समर्थन का राज्य के वित्तीय पैकेज से कोई लेना देना नहीं है. दोनों भिन्न चीजें हैं.’ उन्होंने कहा, ‘जब कभी मैं दिल्ली आती हूं तो कुछ वर्गों द्वारा इस तरह की अटकलें और गप्पबाजी रोप दी जाती है. यह रोपना पेड़ों का नहीं है बल्कि अटकलों का बाजार गर्म करना है. मैं इस तरह अटकलों के बाजार गर्म करने की निंदा करती हूं.’
ममता ने कहा कि पश्चिम बंगाल पिछली वाममोर्चा सरकार की नीतियों की वजह से वित्तीय दृष्टि से संकटपूर्ण स्थिति में है, अतएव उन्होंने तीन साल के ब्याज के भुगतान पर रोक की मांग की है. उन्होंने कहा कि रोक की उनकी मांग सालभर पुरानी है और उसका राष्ट्रपति चुनाव से कोई लेना देना नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘मैंने तीन सालों के लिए केंद्रीय ऋणों पर ब्याज के भुगतान पर रोक की मांग की है और यह ऋण मेरी वजह से नहीं है. यदि रोक नहीं होगी तो कैसे हम सरकार चलायेंगे.’ ममता ने कहा, ‘राज्य जो कुछ भी कमाता है, वह ब्याज के भुगतान में चला जाता है. यह बहुत ही संकटपूर्ण स्थिति है. कृपया, इसे राष्ट्रपति चुनाव से न जोड़िए.’
समाजवादी पार्टी के सूत्रों ने कहा कि उसके नेतृत्व का झुकाव अगले राष्ट्रपति के लिए मुखर्जी की उम्मीदवारी का समर्थन करने का है. ऐसा समझा जाता है कि हाल ही में मुलायम ने अपने सांसदों से कहा था कि वह व्यक्तिगत रूप से मुखर्जी को वरीयता देंगे लेकिन कांग्रेस के औपचारिक रूप से उनका नाम घोषित करने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा.