राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासत में गरमाहट लगातार बढ़ती जा रही है. एक ओर यूपीए की ओर से उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को 'संख्या बल' के आधार पर जीत का भरोसा है, तो दूसरी ओर उनके प्रबल प्रतिद्वंद्वी पीए संगमा को 'चमत्कार' से उम्मीद है.
राष्ट्रपति चुनाव में संप्रग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी ने द्रमुक को गठबंधन का ‘स्थिर सहयोगी’ बताते हुए अपना चुनाव-प्रचार तमिलनाडु से शुरू किया.
प्रणब मुखर्जी को राजद का समर्थन मिल जाने से उनका समर्थन आधार विस्तारित हुआ है. प्रणब मुखर्जी ने तृणमूल कांग्रेस का समर्थन मिलने की उम्मीद अभी तक नहीं छोड़ी है. उन्होंने साथ ही कहा कि वे उन पार्टियों का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्होंने अभी तक अपनी पसंद की घोषणा नहीं की है.
राजद विधायक दल ने सर्वसम्मति से प्रणब मुखर्जी के लिए मतदान करने का निर्णय किया. यह घोषणा राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने पटना में की.
प्रणब मुखर्जी के प्रतिद्वंद्वी एवं विपक्ष समर्थित राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पीए संगमा अपने प्रचार अभियान की शुरुआत मेघालय में अपने गृहनगर तुरा से करेंगे. उन्होंने 19 जुलाई को होने वाले चुनाव में ‘अंतरात्मा की आवाज वाले वोटों’ पर भरोसा जताया है. हालांकि इस चुनाव में मुखर्जी की जीत तय लगती है.
प्रणब मुखर्जी का करुणानिधि से करीबी संबंध रहा है और उन्होंने कई मौकों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दूत की भूमिका भी निभायी है. उन्होंने अपने प्रचार अभियान को औपचारिक रूप से शुरू करने के लिए सत्ताधारी गठबंधन के प्रमुख सहयोगी दल द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि से चेन्नई में सीआईटी नगर स्थित उनके आवास पर मुलाकात की.
प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस और संप्रग सहयोगियों के सांसदों और विधायकों से मुलाकात से पहले संवाददाताओं से कहा, ‘द्रमुक संप्रग-एक और संप्रग-दो की स्थिर सहयोगी है, इसलिए यह स्वाभाविक है कि मैं अपना प्रचार डॉ. करुणानिधि और चेन्नई के आशीर्वाद और समर्थन से करूं.’ उन्होंने कहा कि संप्रग के अलावा सपा, बसपा, माकपा, फॉरवर्ड ब्लाक, जदयू और शिवसेना ने उनकी उम्मीदवारी को अपना समर्थन दिया है.
प्रणब मुखर्जी ने अप्रत्यक्ष रूप से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख का समर्थन हासिल करने के उद्देश्य से कहा, ‘मैं उन सभी राजनीतिक पार्टियों से समर्थन मांग रहा हूं जिन्होंने अभी तक राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी पसंद की घोषणा नहीं की है.’
पूर्व लोकसभाध्यक्ष संगमा ने गुवाहाटी में कहा कि राष्ट्रपति पद चुनाव जीतने के लिए वह चमत्कार की उम्मीद करते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं एक आदिवासी और एक ईसाई हूं और मैं चमत्कारों में विश्वास करता हूं और आशा करता हूं कि यह मेरे पक्ष में जाएगा.’ लेकिन मुखर्जी ने कहा, ‘चमत्कार होने की कोई गुंजाइश नहीं है. आखिरकार यह संख्या बल का मामला है, इसलिए किसी चमत्कार का प्रश्न ही नहीं उठता. मैं किसी चमत्कार में विश्वास नहीं करता.’