प्रियंका गांधी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने की ओर बढ़ सकती हैं. कहा जा रहा है कि उनका अपनी मां तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली का प्रभार संभालना तय-सा है.
इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन कांग्रेस महासचिवों सहित अन्य पदाधिकारियों ने जोर देते हुए कहा कि प्रियंका राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश की इस सीट के लोगों से हमेशा मिलती रही हैं और उनके इस कदम में कुछ भी नया नहीं है.
ऐसी खबरें हैं कि प्रियंका हर बुधवार को रायबरेली के पार्टी कार्यकर्ताओं और लोगों से मिलेंगी. इन खबरों के बीच कांग्रेस नेताओं ने याद किया कि इसी साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान प्रियंका ने रायबरेली और अमेठी में व्यापक चुनाव प्रचार किया था.
पार्टी प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा, ‘इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है. प्रियंका हमेशा अपनी मां और भाई के क्षेत्रों में उनकी मदद करती रही हैं.’ सोनिया हमेशा यह कहती रही हैं कि उनके बच्चों को अपने भविष्य के बारे में खुद ही फैसला करना है.
राहुल गांधी का बड़ी भूमिका में आना तय है और संभव है कि इसकी शुरुआत अगले महीने हो. वह विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रमुख प्रचारक थे, लेकिन नेहरू-गांधी परिवार के इस उत्तराधिकारी के प्रयासों के बावजूद 403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा में पार्टी की सीटें 22 से बढ़कर मात्र 28 ही हो सकीं.
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रियंका 2014 के लोकसभा चुनावों में भाग ले सकती हैं, पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘हम परिवार से संबंधित विषयों पर बातचीत नहीं करते.’ प्रियंका अब तक पारिवारिक जिम्मेदारियों के नाम पर सक्रिय राजनीति से दूर रही हैं. पार्टी का एक तबका प्रियंका में उनकी दादी इंदिरा गांधी की झलक देखता है और वह चाहता है कि प्रियंका सक्रिय भूमिका निभाएं. इस तबके का मानना है कि उत्तर प्रदेश और अन्यत्र पार्टी के बेहतर भविष्य के लिए ऐसा किया जाना अनिवार्य है.
पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने राहुल की अगुवाई में बेहतर प्रदर्शन किया था और उसे 22 सीटें मिली थीं. लेकिन विधानसभा चुनावों के दौरान प्रदर्शन अपेक्षित नहीं रहा और पार्टी के गढ़ माने जाने वाले अमेठी एवं राय बरेली जैसे स्थानों पर भी पार्टी ने खराब प्रदर्शन किया.
चुनावों में प्रदर्शन खराब रहने के कारणों को लेकर राहुल ने खुद ही पार्टी विधायकों, सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों से बातचीत की थी. हालांकि रक्षा मंत्री एके एंटनी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति ने उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में पार्टी के प्रदर्शन पर विचार किया था.