मानसून में कमी के कारण दालों तथा खाद्य तेल के उत्पादन में कमी की आशंका के कारण इनकी कीमत में उछाल के अनुमानों के मद्देनजर सरकार लोगों को राहत देने के लिए इन उपभोक्ता वस्तुओं को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये उन तक पहुंचाने की योजना बना रही है.
इससे देश की करीब 1.12 अरब जनसंख्या को लाभ मिलेगा. ये बातें केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री के.वी. थॉमस ने कही. उन्होंने कहा, 'दालें व तिलहन चिंता का कारण हैं. हम योजना बना रहे हैं कि किस तरह इन वस्तुओं को पीडीएस के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जा सकता है.'
थॉमस के अनुसार, सरकार पीडीएस के जरिये गरीबी की रेखा से नीचे (बीपीएल) तथा गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) की श्रेणी के लोगों को 20 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी के हिसाब से दालें मुहैया कराने की योजना शुरू कर सकती है. इसी तरह की योजना खाने योग्य तेल के लिए भी शुरू की जा सकती है.
थॉमस ने कहा, 'हम उपभोक्ताओं को ये वस्तुएं तर्कसंगत दरों पर मुहैया कराना चाहते हैं.' देश में हर साल करीब 1.7 करोड़ टन दाल का उत्पादन होता है, फिर भी 40 से 50 लाख टन तक दाल का आयात करना पड़ता है, क्योंकि मांग 2.1 करोड़ टन से लेकर 2.2 करोड़ टन तक है. सरकार ने हालांकि पीडीएस में खामियों को लेकर चिंता जताते हुए राज्य सरकारों से इसे दुरुस्त करने तथा मजबूत बनाने को कहा है, ताकि आम आदमी को महंगाई से राहत दिलाई जा सके.
थॉमस ने कहा, 'हमने राज्य सरकारों से पीडीएस को मजबूत बनाने के लिए कहा है. जब तक ऐसा नहीं किया जाता महंगाई से उपभोक्ताओं को राहत दिलाने की किसी भी कोशिश का नतीजा नहीं निकलेगा.' उन्होंने कहा कि सरकार आलू, टमाटर तथा प्याज जैसी सब्जियों की कीमत में वृद्धि को लेकर चिंतित है. इसकी लगातार समीक्षा की जा रही है.