लगता है अब महंगाई से छुटकारा नहीं मिलने वाला. सब्जियों के भाव तो पहले से ही कमर तोड़ ही रहे हैं, अब दाल और मसालों के भाव भी बड़ा झटका देने वाले हैं. थोक बाजार में दाल और मसाले के भाव बढ़ चुके हैं और अब जल्द ही इसका असर खुदरा बाजार पर भी दिखेगा. उधर, चीनी भी आपके स्वाद को और कड़वा करने की तैयारी में है.
कभी कहा जाता था, 'दाल रोटी खाएंगे, प्रभु के गुण गाएंगे' लेकिन अब तो दाल और मसाले भी आम आदमी की पहुंच से दूर होते जा रहे हैं. पिछले 15 दिनों में थोक बाजार में दाल और मसालों के भाव 5 से 10 फीसदी तक बढ़ गए हैं. पिछले 15 दिनों में चना थोक बाज़ार में 5 रुपए महंगा हो गया है. मूंग साबूत में करीब 10 रुपए का इज़ाफा देखने को मिला वहीं मसूर और राजमा 5-5 रुपए महंगे हो गए हैं.
यही हाल मसालों का भी है. पिछले 15 दिनों में जीरा 110 रुपए किलो से बढ़कर 120 रुपए किलो हो गया है. धनिया और हल्दी के भाव में 9 रुपए और 12 रुपए का इज़ाफा देखने को मिला है.
महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम बारिश की वजह से दाल और मसाले की कीमतों में तेजी आई है. सरकार ने महाराष्ट्र और कर्नाटक के कई जिलों में सूखा घोषित कर दिया है. आमतौर पर दलहन की बुआई महाराष्ट्र, कर्नाटक के अलावा मध्य प्रदेश और राजस्थान में होती है. इस बार खराब मॉनसून की वजह से किसानों ने दालों की बुआई काफी कम की है, जिसका असर अब बाज़ार पर नज़र आना शुरू हो गया है.
बारिश ज्यादा हो जाए तो महंगाई, बारिश कम हो तो महंगाई. सरकार के पास इस परेशानी से निपटने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं है. यही वजह है कि थोक बाज़ार में दालों के दामों में अचानक तेज़ी आ गई है. ये तेजी अभी थोक बाज़ार में देखने को मिली है और आने वाले दिनों में खुदरा बाजार में भी इस बढ़ोतरी का असर देखने को मिलेगा.
हर साल देश में 180 लाख टन दालों की ज़रूरत है. इसमें से 140 लाख टन दाल का उत्पादन देश में ही होता है. करीब 25 से 30 लाख टन म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से आयात की जाती है. देश में फिलहाल करीब 10 लाख टन दालों की कमी चल रही है. लेकिन इस साल खराब मॉनसून और दूसरी फसलों में तेजी को देखते हुए किसान का रुझान दालों की ओर कम रहा है.
महंगाई का असर अब त्योहारों पर भी पड़ने जा रहा है. कुछ ही दिनों में राखी आने वाली है, लेकिन उससे पहले चीनी के थोक भाव में 3 से 4 रुपए किलो का इज़ाफा देखने को मिल रहा है. एक बड़ा सच ये है कि जैसे ही थोक बाज़ार में दाम बढ़ते है खुदरा बाज़ार में इसका असर कई गुना ज्यादा नज़र आता है. और फिर एक बार दाम बढ़ने के बाद इतनी आसानी से कम भी नहीं होते है. यानी पहले से महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी को आने वाले दिनों में और परेशानी का सामना करना होगा.