भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये और अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए सोमवार को विदेशी वाणिज्यिक ऋण (ईसीबी) और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की सीमा बढ़ाने जैसे उपायों की घोषणा की.
रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि उसने सरकार के साथ चर्चा कर पूंजी खाता लेन देन के उदारीकरण करने के लिए कदम उठाए हैं.
रिजर्व बैंक ने कहा कि यह विनिर्माण और आधारभूत संरचना क्षेत्र की भारतीय कंपनियों को रुपये में अपने बकाए महंगे कर्ज को चुकाने के लिए विदेशी वाणिज्यिक ऋण हासिल रकने की अनुमति देने का फैसला किया गया.
रिजर्व बैंक ने कहा कि ऐसे ईसीबी के लिए ऊपरी सीमा 10 अरब डॉलर होगी.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के लिए सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की मौजूदा सीमा को पांच अरब डॉलर बढ़ाया गया.
इससे एफआईआई के लिए सरकारी प्रतिभूति में निवेश की ऊपरी सीमा 15 अरब डॉलर से बढ़कर 20 अरब डॉलर हो गई.
रिजर्व बैंक ने कहा कि सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के लिए अनिवासी निवेशकों का आकार बढ़ाने के लिए सॉवरेन वेल्थ फंड, मल्टीलैटरल एजेंसी, एंडोमेंट फंड, इंश्योरेंस फंड, पेंशन फंड और विदेशी केंद्रीय बैंकों जैसे लंबी अवधि निवेशकों को भी सेबी में पंजीकृत होने की अनुमति देने का फैसला किया गया.