भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मुख्य दरों को अपरिवर्तित रखने के फैसले पर देश के उद्योग जगत ने नाराजगी जताई है. भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि आरबीआई द्वारा मौद्रिक नीति की घोषणा में लिए गए फैसले से परिसंघ और उद्योग जगत दुखी है.
उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास दर में लगातार गिरावट के कारण करोड़ों लोगों की जीविका खतरे में है, इसलिए महंगाई को आधार बनाकर बनाई गई नीति अधिक बड़ी तस्वीर नहीं देख पा रही है.
उद्योग जगत रिजर्व बैंक से दरों में कटौती की उम्मीद कर रहा था. ऐसा होने पर उपभोक्ताओं के लिए विभिन्न उपभोक्ता, आवास और वाहन ऋण थोड़े सस्ते हो जाते. दरों में कटौती नहीं करने के कारण रेपो दर आठ फीसदी और रिवर्स रेपो दर सात फीसदी पर बरकरार है.
बैंक ने यह कहकर अपने फैसले का बचाव किया है कि पिछली बार दरों में कटौती करने के बाद से वैश्विक आर्थिक संकेत में गिरावट आई है और देश में महंगाई दर अब भी सुविधाजनक स्तर से काफी ऊपर है.
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने कहा कि दरों में कटौती सही समय पर उठाया गया कदम होता, क्योंकि खनन और विनिर्माण जैसे पूंजी साध्य क्षेत्रों में सुस्ती देखी जा रही है.
फिक्की के महासचिव डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि रेपो दर में कटौती सही समय पर उठाया गया कदम होता और विकास दर में कुछ तेजी आती. कोटक सेक्योरिटीज में फंडामेंटल रिसर्च के प्रमुख दीपेन शाह के मुताबिक शेयर बाजार अब तेजी के लिए सरकार के फैसले और बेहतर मानसून पर निर्भर है.