संसद में बजट सत्र के दौरान एक विधेयक पारित होने की संभावना है जो यात्रियों की सुरक्षा के मामले में रेलवे सुरक्षा बल को पूरी तरह जिम्मेदार बनाएगा.
रेलवे सुरक्षा बल (संशोधन) विधेयक, 2011 में सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) को रेलवे परिसरों से हटाने और आरपीएफ को वहां अपराध के मामलों से निपटने के अधिकार देने का भी प्रावधान होगा. इन मामलों में ट्रेनों तथा स्टेशनों पर लूटपाट आदि अपराध शामिल होंगे.
रेलवे मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विधेयक तैयार है और बजट सत्र में इसे लाने के लिहाज से मंजूरी के लिए कैबिनेट को भेज दिया गया है. यदि संसद में विधेयक पर मुहर लग जाती है तो पहली बार ऐसा होगा कि देश में अर्धसैनिक बलों को पुलिस के अधिकार प्राप्त होंगे. कानून, वित्त और गृह मंत्रालय समेत अनेक मंत्रालयों से विचार विमर्श करके विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
फिलहाल रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में अपराध से निपटने के मामले में राज्य सरकार के तहत जीआरपी जिम्मेदार होती है वहीं आरपीएफ की भूमिका केवल रेलवे संपत्तियों की सुरक्षा तक सीमित है. चूंकि जीआरपी का नियंत्रण राज्य सरकार के हाथ में होता है इसलिए सीमा संबंधी मुद्दे हैं.
अधिकारी ने कहा कि यदि बिहार में दिल्ली जाने वाली ट्रेन में चोरी की घटना होती है तो प्राथमिकी दिल्ली में दर्ज नहीं होगी. अधिकारी ने कहा कि जहां अपराध होता है वहां प्राथमिकी दर्ज होगी. इससे न केवल यात्रियों को असुविधा होती है बल्कि जांच प्रक्रिया भी प्रभावित होती है.
कानून लागू होने पर देशभर में जीआरपी को रेलवे परिसरों से हटा दिया जाएगा. प्राथमिकी दर्ज करने के मामले में आरपीएफ जिम्मेदार होगा और इसमें सीमा संबंधी विवाद नहीं होंगे. हालांकि विधेयक के प्रावधानों के अनुसार कानून व्यवस्था की समस्याओं के लिए आरपीएफ जिम्मेदार नहीं होगा और उसके पुलिस के समकक्ष अधिकार रेलवे परिसरों तक सीमित होंगे.