निर्देशकः अनुभव सिन्हा
कलाकारः शाहरुख खान, करीना कपूर, अर्जुन रामपाल, शहाना गोस्वामी
शाहरुख खान ने कुछेक साल पहले कहा था, ''मैं एक ऐसी फिल्म बनाऊंगा, जिसके बारे में दुनिया जानेगी. घाटकोपर के सिनेमाहाल के गेटकीपर से लेकर स्टीवन स्पिलबर्ग तक उसे देखेंगे.'' रा.वन लंबे अरसे से संजोए उनके उसी सपने का नतीजा है. विश्व स्तरीय टेक्नॉलॉजी से ढाई घंटे तक परदे पर किरदार चमत्कारी ढंग से बनते-मिटते हैं. कंप्यूटर इमेजेज और विशेष प्रभावों के जरिए.
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कहानी ही गेम प्रोग्रामर शेखर सुब्रह्मण्यम (शाहरुख) की है. बेटे प्रतीक (अरमान वर्मा) को खुश करने के लिए वह रा.वन नाम का गेम तैयार करता है और यह किरदार कंप्यूटर से बाहर निकलकर उसी का दुश्मन बन जाता है.
यू ट्यूब पर मिलेगी 'रा.वन' की जानकारी...
रावण-सी पापात्मा रा.वन (रामपाल) और उससे मुकाबले को उतरा सुपरहीरो दिलेर जी.वन. स्पाइडरमैन और बैटमैन के अंदाज में यह जी.वन प्रतीक और उसकी मां सोनिया (करीना) का रक्षाकवच बनता है. कभी घर के ऊपर आकाश से झूलता बैठा-सा, कभी क्राउचिंग टाइगर वाले अंदाज में आसमानी युद्ध करता.
मधुमक्खियों के आकार के चिप्स तेजी से रेंगकर-जुड़कर दैत्य-सी शक्ल ले लेते हैं. यह सरसराहट और दूसरी कुछ आवाजें सिहरन पैदा करती हैं (ध्वनि संयोजक रेसुल पोकुट्टी का एक और कमाल). पर रा.वन पहले दृश्य से आखिर तक तकनीक में डूबी एक्शन फिल्म है, जो जज्बात को उभारने की बार-बार पर नाकाम कोशिश करती है. मोम-सी देह वाली, लाल चोली-साड़ी में लिपटी छम्मकछल्लो सोनिया के अलावा दक्षिण भारतीय पड़ोसी तथा और कुछ तत्व हैं तकनीकी 'आतंक' को दूर करने के लिए पर वे नाकाफी हैं. गाने एक गुणा-भाग से ज्यादा नहीं हैं यहां.
रजनीकांत का रोबोट इससे कहीं ज्यादा जज्बाती था, उसमें रस था. किंग खान और महारानी करीना के होने के बावजूद रा.वन एक सूखी फिल्म है. चंद लम्हों तक चमककर बुझ जाने वाली दीवाली की फुलझड़ी-सी. जमीन जाग रही थी कि इन्किलाब है कल. .जमी से अब कहेंगे क्या भला?