भारत के महान क्रिकेटर राहुल द्रविड़ ने शुक्रवार को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेकर अपने 16 साल के अंतरराष्ट्रीय कैरियर को अलविदा कहा.
राहुल द्रविड़ का अब तक का सफर
पूर्व भारतीय कप्तान द्रविड टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं और कई वर्षों से भारतीय मध्यक्रम की जिम्मेदारी संभाल रहे थे.
29 वर्षीय द्रविड़ ऑस्ट्रेलिया के निराशाजनक टेस्ट दौरे के बाद भारतीय क्रिकेट के तीन उम्रदराज खिलाड़ियों (सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण) में संन्यास लेने वाले पहले खिलाड़ी बन गये.
द्रविड़ ने बैंगलोर में जारी एक प्रेस कांफ्रेस में कहा कि मैं अंतरराष्ट्रीय और घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा करता हूं. मैंने भारत के लिये 16 साल पहले अपना पहला टेस्ट खेला था और आज मुझे लगता है कि आगे बढ़ने का समय आ गया है. मैं भारत में एक ऐसे लड़के की तरह ही था जो अपने देश की ओर से खेलने का सपना देखता है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी यात्रा इतनी लंबी और इतनी परिपूर्ण रहेगी.
द्रविड़ के साथ बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि कोई भी सपना अकेले पूरा नहीं हो सकता. मैं उन लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा जिन्होंने मुझे क्रिकेट सिखाया और मुझ पर भरोसा रखा. बैंगलोर में मेरे जूनियर कोचों और विभिन्न जूनियर राष्ट्रीय शिविरों ने मुझे क्रिकेट के प्रति इतना जुनूनी बनाया.
द्रविड़ ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेरे कोचों ने मेरी क्रिकेट में सुधार किया और जिससे मेरे व्यक्तित्व को निखरने में मदद मिली. फिजियो और ट्रेनरों ने मुझे फिट बनने के लिये काफी मेहनत की जो आसान काम नहीं है जिसकी बदौलत मैं 30 की उम्र के अंतिम पड़ाव में भी खेलता रहा.
उन्होंने कहा कि भारत में चयनकर्ताओं को कभी भी कोई श्रेय नहीं मिलता लेकिन उन्होंने कई बार मुझ पर भरोसा जताया बल्कि इतना भरोसा मुझे खुद पर नहीं था और मैं इसके लिये उनका शुक्रगुजार हूं. मैं जितने भी कप्तानों की अगुवाई में खेला, उन्होंने मेरा नेतृत्व किया और मुझे प्रेरित किया. सबसे ज्यादा मैं उन टीमों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा, जिनके साथ मैं खेला. द्रविड़ ने कहा कि उनकी टीम के साथियों के साथ कई शानदार यादें जुड़ी हैं जिसमें खेल के कुछ महान खिलाड़ी भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि मैं कैरियर के शुरू के दिनों में कर्नाटक की टीम से खेला और वे साल मेरे लिये काफी मनोरंजक और सीख हासिल करने वाले रहे. उन्होंने कहा कि भारतीय टीम में मैं उस शानदार युग का हिस्सा होकर भाग्यशाली रहा जिसमें भारत ने घरेलू और विदेशी सरजमीं पर कुछ बेहतरीन क्रिकेट खेला. टीम के कई साथी महान बन गये, भारत में ही नहीं बल्कि पूरी क्रिकेट दुनिया में. मैं उनकी काफी प्रशंसा करता हूं, मैंने उनसे काफी कुछ सीखा है और मैं क्रिकेट को उनके साथ बिताये गये समय की शानदार यादों और मजबूत दोस्ती के साथ अलविदा कह रहा हूं, यह शानदार भेंट है.