रेलवे ने घटते वित्तीय संसाधनों और राजस्व जुटाने के सीमित विकल्पों के बीच वातानुकूलित श्रेणी में यात्री किराया बढाने की योजनाओं को अंतिम रूप दे दिया गया है.
रेलवे पर यात्री किराया बढाने के लिए वित्त मंत्रालय तथा योजना आयोग सहित विभिन्न वर्गों का दबाव है. यात्री किराये में पिछले आठ साल में वृद्धि नहीं हुई है. ऐसा माना जाता है कि इस दबाव के बीच रेलवे संभावित यात्री किराये के लिए खाका (ब्लूपिंट्र) तैयार कर रहा है.
रेलवे के उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि यह वृद्धि प्रति 500 किलोमीटर के लिए 10-12 प्रतिशत या 35 रुपये हो सकती है.
उन्होंने कहा कि रेलवे आंतरिक स्तर पर राजस्व जुटाने में कुल मिलाकर विफल रही है जबकि उसे थोड़ी मदद वित्त मंत्रालय से मिल रही है. ऐसे में उसके पास किरायों को युक्तिसंगत बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है.
रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने इसी महीने किराये में संभावित वृद्धि का संकेत दिया था क्योंकि ‘बीते वर्षों में लागत खर्च में बढ़ोतरी हुई है.’ सूत्रों ने कहा कि किराये में बढ़ोतरी को ईंधन कीमतों से सम्बद्ध किया जा सकता है ताकि अतिरिक्त दबाव की पूर्ति की जा सके. यात्री किराये खंड में 16,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाती है.
उन्होंने कहा कि रेलवे का काम केवल यात्री किराया बढ़ाकर नहीं चलने वाला है और उसे राजस्व जुटाने के दूसरे विकल्पों पर भी काम करना होगा जिनमें बुनियादी ढांचा सृजन पर अधिभार या उपकर लगाना शामिल है.