राजनीतिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान में सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता राजा परवेज अशरफ को नेशनल असेंबली की ओर से नया प्रधानमंत्री चुन लिया गया.
भुट्टो परिवार के वफादारों में शामिल 61 वर्षीय अशरफ गुरुवार को उस वक्त इस पद के सबसे प्रबल दावेदार बन गए थे, जब मखदूम शहाबुद्दीन के खिलाफ एक अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था. इससे पहले शहाबुद्दीन को ही पीपीपी ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया था.
नेशनल असेंबली के 342 सदस्यों में से 211 ने अशरफ की उम्मीदवारी के पक्ष में मतदान किया, जबकि पीएमएल-एन के उम्मीदवार महताब अहमद खान अब्बासी को 89 मतों पर ही संतोष करना पड़ा.
अब राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी अरफ को पाकिस्तान के 25वें प्रधानमंत्री के रूप में शप दिलाएंगे.
पंजाब प्रांत के रावलपिंडी में एक शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले अशरफ को उसी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, जिसका सामना करने से इनकार पर यूसुफ रजा गिलानी को पद से बेदखल होना पड़ा. यहां का सुप्रीम कोर्ट उनसे भी जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के लिए कह सकता है. ऐसा करने से गिलानी ने इनकार किया था. इसके बाद उन्हें अदालती अवमानना का दोषी करार दिया गया था.
रावलपिंडी जिले के गुजर खान संसदीय क्षेत्र से नेशनल असेंबली के लिए चुने गए अशरफ गिलानी की कैबिनेट में दो बार जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.
इसी साल फरवरी में उन्होंने बिजली परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण इस्तीफा दे दिया था. अप्रैल में बतौर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री उनकी फिर से कैबिनेट में वापसी हुई.
अशरफ की उम्मीदवारी का पीपीपी के प्रमुख सहयोगी पीएमएल-क्यू ने भी समर्थन किया. उसके पास नेशनल असेंबली में 50 से अधिक सीट हैं.
पीपीपी नेता फौजिया गिलानी के इंतकाल, गिलानी को अयोग्य ठहराए जाने और फरहनाज इस्पहानी के निलंबन के कारण नेशनल असंबली में 339 सदस्य ही थे. पीपीपी के पास नेशनल असेंबली में 124 सदस्य और उसके सहयोगी दलों के 58 सदस्य हैं.
नेशनल असेंबली में मतदान का समय शाम साढ़े पांच बजे निर्धारित था. एक घंटे का विलंब होने से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई.
बहरहाल, यह कुछ ही देर के लिए रही. कई सांसदों के देर से पहुंचने से विलंब हुआ था. सत्र की शुरुआत के ठीक बाद शहाबुद्दीन और कमर जमां कायरा ने अपने नामांकन वापस ले लिए.
बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अयोग्य ठहराया था. इसके बाद यह चुनाव अनिवार्य हो गया था.
गिलानी के विकल्प की तलाश करने के पीपीपी के प्रयासों को गुरुवार बड़ा झटका लगा जब प्रधानमंत्री पद के पार्टी के मूल दावेदार मखदूम शहाबुद्दीन के खिलाफ एक विशेष अदालत ने उस वक्त गिरफ्तारी वारंट जारी किया, जब वह नामांकन पत्र भर रहे थे.
अशरफ ने शहाबुद्दीन के वैकल्पिक या ‘छद्म’ उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा था. पीपीपी के एक अन्य वरिष्ठ नेता कमर जमां कैरा ने भी नामांकन दायर किया था लेकिन पार्टी की अहम सहयोगी पीएमएल क्यू ने उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया.