देश की सबसे बड़ी पंचायत में गुरुवार को जो हुआ, उससे बड़े गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं. जिसे लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है, उस मंदिर की देखरेख में ऐसी चूक क्यों हुई?
राज्यसभा में बदबू भला क्यों और कैसे आ गई? सांसदों ने पहले भी शिक़ायत की थी, तब इस बात पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया?
बुधवार को मक्खियों ने सदन में घुसकर सांसदों को परेशान किया, जबकि मंगलवार को सदन की बिजली ग़ायब हो गई थी.
राज्यसभा में एक मिनट की कार्यवाही में क़रीब 8 हज़ार रुपये का ख़र्च आता है. बदबू कांड की वजह से राज्यसभा की कार्यवाही क़रीब 32 मिनट बंद रही. यानी 2 लाख से ज़्यादा का नुकसान. आख़िर कौन देगा इसका हिसाब?