देशभर में रामनवमी का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. कहीं लोग 'रामधुन' और राम के भजन में मग्न हैं, तो कहीं मंदिरों में भक्तों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं.
श्रीराम की नगरी अयोध्या में पूजा-अर्चना के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है. सरयू में स्नान करने का सिलसिला भी जारी है. यहां के मंदिरों में विशेष सजावट की गई है. इस मौके पर सुरक्षा-व्यवस्था भी चौक-चौबंद है. जगह-जगह सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो सके.
राजधानी दिल्ली व एनसीआर में कई स्थानों पर मंदिरों में विशेष सजावट की गई है. भक्त मंदिरों में प्रसाद चढ़ाने और प्रसाद पाने के लिए कतारों में खड़े हैं. यहां भी विशेष सुरक्षा-व्यवस्था देखी जा रही है. कई स्थानों पर 'भंडारा' की भी व्यवस्था की गई है.
मान्यताओं के अनुसार 'रामनवमी'
मान्यताओं के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था. इसी उपलक्ष्य में इस नवमी को रामनवमी के रूप में जाना जाता है. रामनवमी में हर वर्ष देश के कोने-कोने से यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. सुबह से ही सरयू स्नान और मंदिरों में पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है. इस दिन मंदिरों में बधाई और सोहर के गीत गूंजने लगते है. इस अवसर पर दूर-दराज से आए किन्नर भी राम के जन्म पर सोहर गाते है और धूमधाम से नाचते हैं.{mospagebreak}
पौराणिक कथा के अनुसार आज ही के दिन त्रेता युग में रघुकुल शिरोमणि महाराजा दशरथ के घर अखिल ब्रह्माण्ड नायक भगवान विष्णु ने पुत्र के रूप में जन्म लिया था. भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले श्रीराम को भक्तगण उनके सुख-समृद्धिपूर्ण व सदाचारयुक्त शासन के लिए याद करते हैं.
यह परम पवित्र त्योहार अयोध्या सहित भारत के सभी भागों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस पावन अवसर पर भक्तगण पूरे दिन रामायण का पाठ करते हैं. अयोध्या में इस दिन हर्षोल्लासपूर्वक भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और भक्त हनुमान की रथयात्रा निकाली जाती है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं.
अयोध्या रामनवमी त्योहार के महान अनुष्ठान का मुख्य केन्द्र-बिन्दु है. लोग घरों में रामनवमी पर पूजा करते हैं और बाद में घर में जल छिड़का जाता है और प्रसाद वितरित किया जाता है.
श्रीराम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. कहते हैं कि असुरों के राजा रावण को मारने के लिए भगवान ने श्रीराम का अवतार मनुष्य रूप में लिया. उन्होंने आजीवन मर्यादा का पालन किया, इसीलिये उनको मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहते हैं.{mospagebreak}
भगवान श्राम बहुत बड़े पितृभक्त थे. अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी वे अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्यागकर चौदह वर्षों के लिए अपने छोटे भई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वन चले गये. वन में जाकर रक्षसों के सबसे बड़े राजा रावण का सर्वनाश करके उसका राज्य विभीषण को सौंपकर वापस अयोध्या आ गये. हनुमान भगवान श्रीराम के परमभक्त तथा सुग्रीव परममित्र थे.
राम का शासन आज भी शांति और समृद्धि के लिए पर्यायवाची बन गया है. रामनवमी के दिन व्रत से ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रता की वृद्धि होती है.