सरकार ने इशारा कर दिया है कि अब पेट्रोल की कीमतें बढ़ने जा रही हैं. पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने कहा है कि तेल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमतें बढ़ाने की मांग कर रही हैं. वहीं डीजल की कीमतों को बढ़ाने का फैसला ईजीओएम की बैठक में लिया जाएगा. हांलाकि दाम कब बढ़ाए जाएंगे ये अभी तय नहीं है.
पेट्रोल की बिक्री पर ऑयल कंपनियों के बढ़ते घाटे ने सरकार को परेशानी में डाल दिया है. एक तरफ महंगाई पर काबू पाने की मुश्किल है और दूसरी ओर सब्सिडी बोझ को कम रखने की जिम्मेदारी.
इंडियन ऑयल का कहना है कि जनवरी-मार्च में कंपनी को पेट्रोल बिक्री पर 750 करोड़ रुपये से ज्यादा नुकसान होगा. कंपनी ने सरकार से अंडररिकवरी की भरपाई करने की मांग की है. इंडियन ऑयल के मुताबिक सरकार से मदद न मिलने पर कंपनी पेट्रोल महंगा करने के लिए मजबूर हो जाएगी.
पेट्रोलियम मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने कहा कि डीजल को मूल्य नियंत्रण व्यवस्था से मुक्त करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पेट्रोल की कीमत को नियंत्रणमुक्त करने की व्यवस्था भी कुछ समय से ‘एक तरह से’ भंग हुई है. रेड्डी सातवें एशियाई गैस भागीदारी सम्मेलन में संवाददाताओं से अगल से बात कर रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘अभी डीजल की कीमत को नियंत्रण मुक्त करने का हमारा कोई इरादा नहीं है.’ यदि सरकार डीजल को नियंत्रण मुक्त करती है तो सरकारी तेल कंपनियों को इसकी कीमत 14.73 रुपए प्रति लीटर बढ़ानी होगी. पेट्रोल को जून 2010 में मूल्य नियंत्रण व्यवस्था से मुक्त किया गया था. इसके तहत वे इसका दाम आयातित पेट्रोल की लागत के बराबर रख सकती है.
पेट्रोल के मामले में भी अब तेल कंपनियां लागत के मुताबिक दरें नहीं बढ़ा सकी हैं जिससे उन्हेंने पेट्रोल पर फिलहाल 7.72 रुपए प्रति लीटर की कमाई का नुकसान हो रहा है. रेड्डी ने कहा, ‘पेट्रोल कीमत की नियंत्रण मुक्त व्यवस्था भी एक तरह से कुछ भंग हुई है पर इसे फिर से मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने का हमारा कोई इरादा नहीं है.’ तेल कंपनियों ने मांग की है कि चूंकि वे लागत के अनुरूप पेट्रोल की कीमत नहीं बढ़ा सकतीं इसलिए इसकी बिक्री से हुए 4,500 करोड़ रुपए की आय के नुकसान की भरपाई सरकार करे.
फिलहाल सरकार सिर्फ तेल का खुदरा काम करने वाली सरकारी कंपनियों को डीजल, घरेलू गैस और केरोसिन की बिक्री से होने वाले नुकसान के लिए आंशिक भरपाई करती है. रेड्डी ने कहा, ‘तेल कंपनियों ने निस्संदेह कुछ सुझाव दिए हैं. लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय के पास स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. मैं उचित समय पर अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह के सामने इस मामले को उठाउंगा.’