आजादी की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाने के साथ भारत के नव निर्माण, लोकतंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले बच्चों के चाचा नेहरू और देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू अद्भुक्त वक्ता, उत्कृष्ट लेखक, इतिहासकार, स्वप्नद्रष्टा और आधुनिक भारत के निर्माता थे.
जाने माने वैज्ञानिक तथा बच्चों के लिए विज्ञान की सरल पुस्तक लिखने वाले शिक्षाविद् प्रो. यशपाल ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू बच्चों को सबसे बड़ी नेमत मानते थे. उनका मानना था कि आधुनिक भारत के निर्माण बच्चों की महत्वपूर्ण भूमिका है.
उन्होंने कहा कि नेहरू बच्चों को सपने देखने और बड़ा होकर उसे दुनियावी समस्याओं के बीच भूलने नहीं बल्कि उसपर अमल करने को प्रेरित करते थे.
प्रो. यशपाल ने कहा कि बच्चों में काफी उत्सुकता होती है और वह उनके सपने काफी प्रेरक होते हैं लेकिन बड़े होकर हम उन सपनों को भूल जाते हैं और पढ़ाई लिखाई के बीच उसपर काम नहीं करते.
उन्होंने कहा कि शिक्षा के अलावा खेल में भी छोटी उम्र में ही रचनात्मकता को प्रोत्साहित किये जाने की जरूरत है क्योंकि बालमन खाली स्लेट की तरह होता है जिसे सकारात्मक आकार प्रदान किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू का बच्चों के प्रति काफी स्नेह था और प्यार से बच्चे उन्हें चाचा कहते थे.
पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को हुआ था और बच्चों से काफी स्नेह होने के कारण इस दिवस को प्रत्येक वर्ष ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.{mospagebreak}
भारत की आजादी की लड़ाई की एक बड़ी घटना 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंडित नेहरू ने भारतीय राजनीति को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उस समय मौलाना मोहम्मद अली जौहर के कहने पर वह जलियांवाला कांड के कारणों की जांच के लिए बनायी गई समिति के सदस्य बने थे.
साल 1929 में लाहौर में रावी के तट पर कांग्रेस के अधिवेशन के दौरान पंडित मोती लाल नेहरू की जगह महात्मा गांधी ने जवाहर लाल नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का फैसला किया था.
पंडित नेहरू की ऐतिहासिक दृष्टि काफी प्रभावित करने वाली है जिसका प्रमाण ‘डिस्कवरी आफ इंडिया’ और ‘ग्लिम्पसेज आफ द वर्ल्ड हिस्ट्री’ है.
जवाहर लाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद खस्ताहाल और विभाजित भारत का नवनिर्माण करना होई आसान काम नहीं था लेकिन पंचवर्षीय योजना उनकी दूरदृष्टि का ही परिणाम था जिसके नतीजे वषरे बाद मिल रहे हैं. स्वस्थ लोकतंत्र की नींव रखने और इसे मजबूत बनाने में पंडित नेहरू का महत्वपूर्ण योगदान था.
चीन के साथ दोस्ती की पहल उन्होंने काफी ईमानदारी से की थी और पंचशील और हिन्दी चीनी भाई भाई का नारा दिया लेकिन 1962 में भारत पर चीन के हमले से वह काफी आहत हुए और कुछ लोग इसी को उनके निधन का कारण मानते हैं.