नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि उसकी एक लेखापरीक्षा रिपोर्ट के हवाले से कोयला खानों के आवंटन के लिए नीलामी न करने के कारण सरकारी खजाने को 10.76 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की मीडिया रिपोर्ट ‘बेहतद भ्रामक’ है.
सीएजी ने कहा है कि जिस रिपोर्ट के आधार पर यह खबर बनायी गयी है वह उसकी ‘अंतिम रिपोर्ट से पहले बनायी जाने वाली रिपोर्ट का मसौदा भी नहीं है.’
खबर आने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति जारी की जिसमें कैग की ओर से भेजे गए एक पत्र का हवाला दिया गया है जिसमें कैग ने स्पष्ट किया है कि ‘मौजूदा मामले में जो ब्यौरे सामने आए हैं वे कुछ टिप्पणियां हैं जिन पर अभी बेहद शुरुआती दौर की चर्चा हो रही है. यह रिपोर्ट हमारी अंतिम रिपोर्ट के पहले की रिपोर्ट का मसौदे भी नहीं कही जा सकती.’ कैग ने इस पर आधारित मीडिया की रिपोर्टों को ‘अति भ्रामक’ करार दिया है.
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार कैग ने अपने पत्र में कहा है कि रिपोर्ट तैयार करने के सिलसिले में कोयला मंत्रालय के साथ 9 फरवरी 2012, और तीन मार्च 2012 को हुई बैठकों के बाद हमने अपनी सोच बदली है.
प्रधानमंत्री कार्यालय की विज्ञप्ति में इस पत्र के हवाले से कहा गया है, ‘दरअसल हमारा यह मानना भी नहीं है कि आवंटियों को अनायास जो फायदा हुआ है वह सरकारी खजाने के नुकसान के समान है. आरंभिक मसौदे के लीक होने से शर्मिंदगी की हालत पैदा हुई है क्योंकि लेखापरीक्षा रिपोर्ट अभी तैयार की जा रही है. इस तरह की रिपोर्टों का लीक होना पीड़ादायक है होता है.’
कोयला खानों के आवंटन के बारे में कैग की लीक हुई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इन आवंटनों की अवधि में बाजार की कीमतों के आधार पर आवंटियों को 6.31 लाख करोड़ रुपये का ‘अप्रत्याशित लाभ’ हुआ. इसमें 3.37 लाख करोड़ रुपये का लाभ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को और 2.94 लाख करोड़ रुपये का अप्रत्याशित लाभ निजी क्षेत्र की कंपनियों को हुआ.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार कैग की रिपोर्ट के मसौदे में कहा गया है कि मौजूदा मूल्य पर यह लाभ 10.67 लाख करोड़ रुपये बैठता है. इसके आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का फायदा 5.88 लाख करोड़ रुपये और निजी क्षेत्र की कंपनियों का 4.79 लाख करोड़ रुपये बनता है.
कोयला मंत्रालय ने जून, 2004 को अपने जवाब में कहा था कि कोल इंडिया द्वारा आपूर्ति किए गए कोयले और कंपनियों को अपने इस्तेमाल के लिए आवंटित खनन क्षेत्रों में उत्पादित कोयले की लागत में भारी अंतर है. ऐसे में कैप्टिव (खुद के इस्तेमाल के लिए दी आवंटित की गयी) खदानों के आवंटियों को अप्रत्याशित लाभ हुआ है. इसे देखते हुए सरकार ऐसे लाभ का कुछ हिस्सा प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये खुद भी हासिल करना चाहती है.
सरकार ने कहा था, ‘आवंटियों को अप्रत्याशित लाभ काफी अधिक रहा है.’ यह खबर कैग की 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन संबंधी विस्फोटक रिपोर्ट के एक साल से कुछ अधिक समय बाद आई है. कैग ने 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन पहले आओ पहले पाओ की नीति पर किए जाने से सरकार को हुए राजस्व नुकसान का निष्कर्ष निकाला था. कैग ने कहा था कि इस नीति के जरिये इस संसाधन के आवंटन से सरकार को अनुमानत: 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.