साइकिल उद्योग ने सरकार से आम आदमी की सवारी साइकिल को प्रस्तावित वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) से बाहर रखने की गुजारिश करते हुए सभी मौजूदा शुल्कों को वापस लेने की मांग की है. मौजूदा शुल्क करीब 12 प्रतिशत हैं.
आल इंडिया साइकिल्स मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (एआईसीएमए) के भावी अध्यक्ष पंकज मुंजाल ने कहा कि उद्योग निकाय ने वित्त मंत्रालय को एक ज्ञापन सौंपा है और एसोसिएशन अगले सप्ताह वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से मिलेगा. मुंजाल को एसोसिएशन ने अगले अध्यक्ष के लिए नामित कर रखा है.
मुंजाल ने बताया कि साइकिल आम आदमी की सवारी है और यह उनकी मौलिक आवश्यकता है. हमें इस पर कर नहीं लगाना चाहिए. साइकिल को जीएसटी में नहीं शामिल किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत के गरीब नागरिक साइकिल का इस्तेमाल अपने दैनिक काम के लिए करते हैं. मुंजाल ने कहा कि देश में ऐसे लोग हैं जिनकी दैनिक आमदनी 100 रुपये है और वे साइकिल रखते हैं. उन पर कर का बोझ डालना अनुचित है. भारत में अब भी 50 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनकी हैसियत एक साइकिल खरीदने की भी नहीं है.
इस समय, साइकिलों पर 5..7 प्रतिशत स्थानीय बिक्री कर सहित कुल करीब 12 प्रतिशत शुल्क लगता है. मुंजाल ने कहा कि हम सरकार से आगामी बजट में इन शुल्कों को पूरी तरह से वापस लेने का अनुरोध करते हैं. इससे साइकिल का बाजार बढ़ाने में मदद मिलेगी जो अभी सालाना करीब 1.5 करोड़ इकाइयों का है, जबकि चीन में सालाना 8 करोड़ साइकिलें बिकती हैं.
हीरो साइकिल्स के प्रबंध निदेशक पंकज मुंजाल को एआईसीएमए का अध्यक्ष नामित किया गया है और वह 23 फरवरी से अध्यक्ष पद संभालेंगे.