राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) के सहयोगी दलों में दरार यूं तो बुधवार को तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव द्वारा कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम खारिज करने और उसकी जगह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित तीन नए उम्मीदवारों की घोषणा के बाद ही दिखाई पड़ने लगी थी लेकिन यह दरार गुरुवार को और चौड़ी हो गई जब कांग्रेस ने ममता-मुलायम के सुझाए नामों को खारिज कर दिया और खासकर ममता पर गठबंधन की मर्यादा तोड़ने का आरोप लगाया.
ममता-मुलायम की घोषणा के लगभग 18 घंटे बाद कांग्रेस ने अपनी चुप्पी तोड़ी और जब चुप्पी तोड़ी तो ममता बनर्जी पर निशाना साधा. पार्टी ने पहले तो साफ कर दिया कि वह किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति भवन नहीं भेजेगी और फिर उनकी ओर से सुझाए गए दोनों नामों को स्वीकार करने से भी मना कर दिया.
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख जनार्दन द्विवेदी ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, 'मनमोहन सिंह के बारे में कांग्रेस पहले ही साफ कर चुकी है कि वह 2014 तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे. हम उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाने का जोखिम नहीं उठा सकते, और अन्य दोनों नाम हमें स्वीकार नहीं है.'
द्विवेदी ने कहा, 'संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी छोटी पार्टियों सहित गठबंधन सहयोगियों व समर्थकों से इस मुद्दे पर राय बनाने के लिए बात कर रही हैं. इस सिलसिले में जो दो प्रमुख नाम सामने आए थे, वह उन्होंने ममता बनर्जी को बताया.' उन्होंने कहा, 'कांग्रेस ने अभी अपने उम्मीदवार का नाम तय नहीं किया है और जब भी कांग्रेस यह तय करेगी तो एक ही नाम होगा.'
उन्होंने कहा कि ऐसी प्रक्रिया के दौरान चर्चा होती है तो कुछ नाम सामने आते हैं लेकिन यह तकाजा है कि उन नामों को सार्वजनिक नहीं किया जाता. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने पत्रकारों से चर्चा में कहा, 'प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री हैं और वह संवैधानिक पद पर हैं. ऐसे में वह (ममता) उनका नाम कैसे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में सामने ला सकती हैं.'
सोनी ने कहा कि सोनिया गांधी संप्रग के सभी घटक दलों से इस सिलसिले में चर्चा कर रही हैं और संप्रग का एक सर्वसम्मत उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश कर रही है. इस बीच, मुखर्जी ने कहा कि संप्रग व कांग्रेस जल्दी ही राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करेंगे. प्रणब ने संवाददाताओं से कहा, 'सवाल यह है कि संप्रग व कांग्रेस को एक उम्मीदवार पेश करना है और जल्दी ही यह तय कर लिया जाएगा कि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन होगा.'
मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की पोलित ब्यूरो के सदस्य बुद्धदेब भट्टाचार्य को फोन कर राष्ट्रपति पद के कांग्रेस उम्मीदवार के लिए वामपंथी दलों का समर्थन मांगा. सूत्र ने बताया, 'भट्टाचार्य ने प्रणब मुखर्जी को आश्वासन दिया है कि वह पार्टी मंच पर इस मुद्दे को उठाएंगे.'
उधर, कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई ने मुखर्जी की उम्मीदवारी पर बनर्जी द्वारा लगाए गए ग्रहण के लिए जमकर उन्हें लताड़ लगाई. कांग्रेस सांसद अधीर चौधरी ने कोलकाता में कहा, 'वह (ममता) वास्तव में बदले की राजनीति कर रही हैं. वह विशेष पैकेज की असंवैधानिक मांग कर रही हैं, जो कि इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में असम्भव है. अब तक वह इसमें नाकाम रही हैं और इसलिए उन्होंने प्रणब दा की उम्मीदवारी का विरोध किया है. क्योंकि प्रणब दा उनकी मांगों के आगे झुके नहीं हैं.'
उन्होंने कहा, 'यह बदले व ईर्ष्या की राजनीति के अलावा कुछ और नहीं है. प्रणब दा की उम्मीदवारी को खारिज कर राजनीतिक रूप से उन्होंने जो गलत आकलन किया है, इसका जवाब उन्हें देना पड़ेगा.'