डीजल की कीमत में बढ़ोतरी और सब्सिडी वाली रसोई गैस की आपूर्ति सीमित करने के फैसला का जोरदार समर्थन करते हुए योजना आयोग ने कहा कि देश को तीव्र आर्थिक वृद्धि की राह पर चलाने के लिए कड़े फैसले करने की जरूरत है.
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि डीजल की कीमत में बढ़ोतरी कड़ा फैसला है और हमें ऐसे कई कड़े फैसले करने की जरूरत है ताकि आठ फीसद की वृद्धि दर दर्ज की जा सके. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण कदम उठाया है. मुझे बहुत खुशी है कि सरकार ने यह फैसला लिया है. सरकार ने डीजल की कीमत में 5.63 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है और सब्सिडी वाले एलपीजी की आपूर्ति सालाना छह सिलिंडर प्रति परिवार सीमित करने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से नियंत्रण मुक्त करना नहीं है. पेट्रोल और डीजल दोनों को नियंत्रण मुक्त किया जाना चाहिए. यह चरणबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए.
सरकार पर पेट्रोलियम उत्पाद से जुड़े भारी-भरकम सब्सिडी के बोझ ओर इससे राजकोषीय घाटा बढ़ने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि घरेलू कीमत को अंतरराष्ट्रीय दरों के अनुकूल बनाया जाना चाहिए. सरकारी फैसले के विरोध को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि कीमत बढ़ाने के किसी भी प्रयास से समस्या होती है, पर हमें इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि कि डीजल की कीमत नहीं बढ़ाने में कुछ नहीं लगता. उन्होंने कहा कि वास्तविक प्रश्न यह है कि क्या सरकार के सामने ऐसी स्थिति थी कि डीजल की कीमत न बढ़ाई जाए. जवाब है नहीं. डीजल आम उपयोग का ईंधन है जिसका सभी हर आर्थिक गतिविधि में उपयोग होता है.
मोंटेक ने कहा कि सरकार के सामने यही विकल्प था कि बजट पर इसका बोझ डाला जाए और जिससे वृद्धि से योजना में कटौती हो या फिर पेट्रोलियम क्षेत्र को खस्ताहाली में छोड़ दिया जाए जो त्रासदी जैसी स्थिति होगी.
उन्होंने कहा कि उर्जा सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है. हमें उर्जा का इस्तेमाल किफायती तरीके से करने की जरूरत है. हमें उत्खनन, उत्पादन और विकास में ज्यादा संसाधन का उपयोग करने की जरूरत है. इस क्षेत्र में कार्य नहीं किया गया तो देश की आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी.