प्रमुख विदेशी मुद्राओं की तुलना में रुपये में तीव्र गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुये रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह स्थिति पर नजदीकी से नजर रखे हुये है और परिस्थिति के अनुसार उचित समय पर कदम उठाता रहेगा.
बैंक ने अक्तूबर.नवंबर में औसत निर्यात वृद्धि घटकर 13.6 प्रतिशत रह जाने को गंभीरता से लिया है. इससे पहले अप्रैल से सितंबर 2011 अवधि में औसत निर्यात वृद्धि 40.6 प्रतिशत तक रही. बहरहाल, बैंक ने कहा है कि निर्यात के मुकाबले आयात में गिरावट धीमी रही है जिससे व्यापार घाटा बढा है.
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि व्यापार घाटा बढने से चालू खाते के घाटे पर दबाव बढा. इसके साथ साथ विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भी अपने निवेश पोर्टफोलियों को नये सिरे से संतुलित करने की कारवाई शुरु कर दी. निर्यातकों ने निर्यात से होने वाली आय को विदेशों में ही रखा, देश में लाने में जल्दबाजी नहीं दिखाई, इन सभी बातों से रुपये पर दबाव बढा.
रिजर्व बैंक ने कहा कि पांच अगस्त जब अमेरिकी सरकार की रिण साख कम की गई थी उसे दिन से 15 दिसंबर 2011 तक डालर के मुकाबले रुपया 17 प्रतिशत कमजोर हुआ है.
रिजर्व बैंक ने डालर के मुकाबले रुपये में आ रही भारी गिरावट को रोकने के उद्देश्य से गुरुवार ही विभिन्न वायदा अनुबंधों पर बंदिशें लगा दी. बैंक ने कंपनियों और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा विदेशी मुद्रा अनुबंधों के एक बार निरस्त होने के बाद फिर से बुकिंग की सुविधा को वापस ले लिया. केन्द्रीय बैंक ने विदेशी मुद्रा कारोबार के लिये अधिकृत बैंकों की कारोबारी सीमा में भी कम कर दी.
इसके परिणामस्वरुप आज कारोबार की शुरुआत में ही रुपया मजबूत खुला और दोपहर तक 1.43 रुपये मजबूत होकर 52.21 रुपये प्रति डालर तक पहुंच गया. रिजर्व बैंक ने आज अपनी संदर्भ दर भी 52.81 रुपये प्रति डालर पर मजबूत रखी. यूरो के लिये भी कल के 70.46 की तुलना में आज 68.80 रुपये की संदर्भ दर रखी गई.
केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि इस दौरान विदेशी मुद्रा आकषिर्त करने के लिये कई उपाय किये गये. सरकारी और कंपनियों के रिणपत्रों में विदेशी निवेशकों की निवेश सीमा बढा दी गई. प्रवासियों की जमा पर दिये जाने वाले ब्याज की अधिकतम सीमा भी बढाई गई है. इसके अलावा मुद्रा बाजार में सटोरिया मनोवृति को हतोत्साहित करने के लिये प्रशासनिक स्तर पर भी कई उपाय किये गये.