दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि पहले-आओ-पहले-पाओ के आधार पर आवंटित 122 दूरसंचार लाइसेंस रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का खनन जैसे क्षेत्रों पर दूरगामी असर पड़ेगा. खनन जैसे क्षेत्रों में भी पहले-आयो-पहले-पाओ की नीति का पालन किया जाता है.
सिब्बल ने कहा, ‘मैं बार-बार कहता रहा हूं कि फैसले का दूरगामी असर पड़ेगा. इसका प्रभाव सिर्फ दूरसंचार क्षेत्र पर ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा.’ उल्लेखनीय है कि शीर्ष अदालत ने तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा द्वारा आवंटित लाइसेंस को रद्द कर दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन का बेहतर तरीका नीलामी है.
सिब्बल ने कहा कि सरकार फैसले के प्रभाव का अध्ययन कर रही है और इस मामले में आगे बढ़ने के बारे में निर्णय करेगी.
उन्होंने खान एवं खनिज नियमन एवं विकास कानून का उदाहरण दिया जो देश में खनिज संसाधनों का संचालन करती है और इन संसाधनों की नीलामी से चुनौतियां सामने आ सकती हैं.
सिब्बल ने कहा, ‘मान लीजिए हम किसी विशेष खनिज का खनन करना चाहते हैं और हमें यह पता नहीं होता कि भूगर्भ में खनिज की मात्रा कितनी है और यह कहां है. ऐसे में आप उद्यमियों को अनुरोध करेंगे कि वे आगे आयें और उसकी संभावना के बारे में पता लगाये.’
दूरसंचार मंत्री ने कहा कि अगर उद्यमी 60 करोड़ डालर खर्च कर खनिज की संभावना के बारे में पता करता है तो क्या इसकी नीलामी के लिये नीति होनी चाहिए. ये सब कुछ ऐसे सवाल हैं, जिस पर गौर किये जाने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले का देश में भविष्य में आने वाले निवेश पर पड़ेगा.
सिब्बल ने कहा, ‘हमें प्रत्येक चीजों का अध्ययन करना होगा. उसके बाद हम इस पर कोई निर्णय करेंगे.’