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सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी हटाने की अर्जी खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट पर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजा वाद को लेकर की गई अपनी टिप्पणी को वापस लेने से साफ इनकार कर दिया है.

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उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के खिलाफ की गई अपनी उन कठोर टिप्पणियों को हटाने से इंकार कर दिया जिसमें उसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ‘कुछ गड़बड़’ होने और ‘अंकल जज सिंड्रोम’ व्याप्त होने की बात कही थी. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय से कहा कि वह ‘आत्म विश्लेषण’ करे और प्रतिक्रिया न व्यक्त करे.

टिप्पणियों को हटाने के संबंध में उच्च न्यायालय के आवेदन का निस्तारण करते हुए न्यायमूर्ति मार्कंडेय काट्जू और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि वहां पर कई शानदार और ईमानदार न्यायाधीश भी है जो अपनी ईमानदारी और कठोर श्रम के जरिए उच्च न्यायालय का झंडा उंचा किए हुए हैं.

पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता पी पी राव की उन दलीलों को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा कि कुछ न्यायाधीशों के बेहद शानदार और अच्छे होने का स्पष्टीकरण भी उनकी ईमानदारी को संदेह के दायरे में रखेगा. इसपर पीठ ने कहा कि यह प्रतिक्रिया व्यक्त करने का उचित समय नहीं है बल्कि आत्मविश्लेषण करने का वक्त है.

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पीठ ने कहा कि हम उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों की व्यथा को अच्छी तरह समझ सकते हैं लेकिन हम इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकते कि यह प्रतिक्रिया व्यक्त करने का नहीं बल्कि आत्मविश्लेषण करने का वक्त है.

पीठ ने हालांकि, इस बात को मानने से बिल्कुल इंकार कर दिया कि उच्च न्यायालय ‘अंकल जज सिंड्रोम’ से पूरी तरह मुक्त है. ‘अंकल जज सिंड्रोम’ से तात्पर्य उन न्यायाधीशों से है जो उन पक्षों के अनुकूल फैसला सुना रहे हैं जिनका प्रतिनिधित्व उनके जान-पहचान के वकील कर रहे हैं.{mospagebreak}

पीठ ने अपने 26 नवंबर के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि आदेश में इस बात का उल्लेख किया गया है कि अनेक वकील जो न्यायाधीशों के रिश्तेदार हैं वे ईमानदारी से इस बात खयाल रख रहे हैं कि कोई उनकी तरफ उंगली न उठाए. पीठ ने कहा कि हालांकि, अन्य बेशर्मी से अपने संबंधों का फायदा उठा रहे हैं.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय पर गत 26 नवंबर को गंभीर आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कुछ गड़बड़ है. इस टिप्पणी के जरिए शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों की ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े किए थे.

पीठ ने आज के अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि उसकी टिप्पणी सभी न्यायाधीशों के लिए नहीं थी बल्कि उनमें से कुछ के संबंध में थी.

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पीठ ने कहा कि यह कहना बिल्कुल गलत है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीश भ्रष्ट हैं. हमारे 26 नवंबर के आदेश में कहीं उल्लेख नहीं किया गया है कि सभी न्यायाधीश भ्रष्ट हैं.

पीठ ने कहा कि हमने सबपर समान रूप से लागू होने वाली टिप्पणी नहीं की है. पीठ ने कहा कि आदेश में सिर्फ इस बात का उल्लेख किया गया कि सभी नहीं बल्कि कुछ न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतें हैं.

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