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सचिन के लिए बन रहा 'शतकों का सिंहासन'

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के शतकों के शतक का सबको इंतजार है. इसके लिए अनेक क्रिकेट प्रेमी कई तरह से तैयारियां कर रहे हैं. ऐसा ही एक क्रिकेट प्रेमी पटना में भी है जो सचिन के लिए पत्थर को तराशकर 'शतकों का सिंहासन' बना रहा है.

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सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर

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क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के शतकों के शतक का सबको इंतजार है. इसके लिए अनेक क्रिकेट प्रेमी कई तरह से तैयारियां कर रहे हैं. ऐसा ही एक क्रिकेट प्रेमी पटना में भी है जो सचिन के लिए पत्थर को तराशकर 'शतकों का सिंहासन' बना रहा है.

पटना आर्ट कॉलेज के छात्र चिंटू पत्थर को तराशकर सचिन के लिए एक सिंहासन तैयार कर रहे हैं. चिंटू ने इस सिंहासन को सचिन के शतकों का सिंहासन नाम दिया है. ऐसा नहीं कि यह पत्थर का टुकड़ा केवल सिंहासन के रूप में है, बल्कि सचिन के सभी शतकों का इस पर पूरा इतिहास खुदा हुआ है.

इस सिंहासन को अंतिम रूप देने में व्यस्त नालंदा निवासी चिंटू ने बताया कि यह सिंहासन बनाने में उसे पूरे दो महीने लगे हैं. सिंहासन को देखने वाले लोग भी अब चिंटू के जुनून को सलाम करते नहीं थक रहे.

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सचिन को भगवान की तरह पूजने वाले चिंटू को भरोसा है कि सचिन आस्ट्रेलिया दौरे में शतकों का शतक अवश्य पूरा करेंगे. वह कहते हैं कि सिंहासन की ऊंचाई करीब चार फुट है जिसके दाएं हाथ की तरफ सचिन के एकदिवसीय शतकों का पूरा इतिहास होगा, जबकि बाएं हाथ की तरफ उनके टेस्ट मैचों के शतक का पूरा लेखा-जोखा होगा.

वह कहते हैं कि सिंहासन के सामने पूरी दुनिया के मानचित्र को दर्शाया गया है. इसके माध्यम से यह दर्शाने की कोशिश की गई है कि दुनिया में क्रिकेट का भगवान सचिन हैं. उन्होंने कहा कि सिंहासन के नीचे के भाग को बल्ले की आकृति दी गई है. वह कहते हैं कि दो वर्ष से वह इसे लेकर कार्य कर रहे थे.

चिंटू ने कॉलेज परिसर में ही पिछले दो महीने के कठिन परिश्रम के बाद इस कलाकृति को बनाया. वह बताते हैं कि जिस तरह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए ताजमहल बनाया था, उसी तरह उन्होंने भी क्रिकेट के भगवान के लिए यह अनोखी कलाकृति बनाई है.

उनकी इच्छा है कि सचिन के आस्ट्रेलिया दौरे से लौटने के बाद वह सिंहासन लेकर खुद मुम्बई जाएं और इस पर सचिन का राज्याभिषेक कर उन्हें उपहार स्वरूप सिंहासन सौंपें. कॉलेज के मित्र भी चिंटू के इस जुनून को सलाम कर रहे हैं. वे कहते हैं कि चिंटू ने इतने कम समय में इस कलाकृति को बना दिया, यह काबिलेतारीफ है.

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चिंटू कहते हैं कि इस कलाकृति को बनाने में उनके मित्रों और आर्ट कॉलेज के अध्यापकों ने भी समय-समय पर उन्हें मार्गदर्शन दिया और उत्साहित किया है.

उल्लेखनीय है कि भारत के दूसरी बार क्रिकेट विश्व कप जीतने के बाद इसी तरह पत्थरों से तराश कर बनाई गई विश्व कप की आकृति को उन्होंने पिछले दिनों रांची जाकर विश्व कप विजेता टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को बतौर उपहार भेंट किया था.

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